नीतीश कैबिनेट बैठक को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल सुबह 11:30 बजे महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक को लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह के संकेत दिखाई दे रहे हैं। बैठक में मंत्रिमंडल भंग करने के प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग सकती है। इसके चलते पूरे राज्य में सियासी गतिविधियां तेज हैं और हर पार्टी अपनी रणनीति तैयार कर रही है।
पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। अब जब नीतीश कैबिनेट बैठक की घोषणा हो चुकी है, तो प्रशासनिक स्तर पर भी हलचल बढ़ गई है। इस बैठक के तुरंत बाद मुख्यमंत्री राजभवन जाएंगे और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके बाद राज्य की राजनीति में एक नया दौर शुरू होगा और नई सरकार के गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। बैठक को लेकर अधिकारियों को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला लंबे समय से बन रहे दबाव और बदलते समीकरणों का परिणाम है। सरकार के भीतर चल रही असहमति और गठबंधन की चुनौतियों ने स्थिति को संवेदनशील बना दिया था। ऐसे में सरकार को भंग करने के फैसले को लेकर हो रही चर्चा अब ज्यादा मजबूत हो गई है। सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि नए गठबंधन की दिशा क्या होगी और किस तरह नई राजनीतिक व्यवस्था तैयार की जाएगी। चूंकि बिहार की राजनीति हमेशा से अप्रत्याशित मोड़ों के लिए जानी जाती है, इसलिए आने वाले घंटे राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे।
दूसरी ओर, प्रशासनिक हलकों में भी इस बदलाव की आहट साफ महसूस की जा रही है। उच्च पदस्थ अधिकारियों को संभावित बदलावों के लिए तैयार रहने के निर्देश मिल चुके हैं। कैबिनेट भंग होते ही कई विभागों में प्रभाव पड़ना तय है। वहीं राजनीतिक कार्यकर्ता और दल अपने-अपने समीकरण साधने में जुट गए हैं। प्रदेश में नई सरकार बनने तक कई बैठकों और बयानबाजी की संभावना बढ़ गई है। सत्ता परिवर्तन के साथ विभागों के पुनर्गठन और नई नीतियों पर भी जल्दी ही चर्चा शुरू हो सकती है।
इस्तीफ़ा देने के बाद राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। विधायकों की संख्या और समर्थन के आधार पर आगे की प्रक्रिया तय होगी। राजनीतिक दलों में सक्रियता बढ़ गई है क्योंकि हर पार्टी चाहती है कि वह सरकार गठन में अहम भूमिका निभाए। इसके साथ ही जनता की नज़रें भी इस पूरे घटनाक्रम पर टिकी हैं, क्योंकि बिहार की राजनीति का प्रभाव सीधा प्रशासन और विकास कार्यों पर पड़ता है। आने वाले दिनों में राज्य की सियासत में कई बड़े बयान और समझौते देखने को मिल सकते हैं।
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