भिण्ड। जिस नदी में कस्बे के लोग स्नान करने से परहेज करने लगे हैं। उस नदी में आगामी सोमवार को डोल ग्यारस के अवसर पर हमारे देवताओं को स्नान कराया जाएगा। यह बात सुनकर आप अचरज में जरूर पड़ गए होंगे लेकिन हकीकत है। आलमपुर की सोनभद्रिका नदी का पानी इतनी बुरी तरह से दूषित हो गया है। कि लोग सोन भद्रिका नदी में स्नान करना तो दूर हाथ पैर धोने से भी कतराने लगे है।आलमपुर कस्बे की सोनभद्रिका नदी के पानी का दूषित होने का प्रमुख कारण आलमपुर कस्बे में बने फिल्टर शौचालयों से निकलने वाला गंदा पानी नाले नालियों के माध्यम से नदी में पहुंच रहा है। सोनभद्रिका नदी के जिन घाटों पर यह गंदा पानी पहुंच रहा है। उन घाटों पर तो इतनी बुरी हालत हैं कि नदी का स्वरूप गंदे नाले जैसा नजर आता हैं।सोन भद्रिका नदी की साफ सफाई पर नगर परिषद तथा जन सहयोग से लाखों रुपए खर्च हो चुके लेकिन नदी की स्थिती में बिल्कुल भी परिवर्तन नहीं आया। साफ सफाई के पूर्व भी आलमपुर की सोनभद्रिका नदी गंदे नाले जैसी नजर आती थी और साफ सफाई के पश्चात (वर्तमान समय में) भी सोनभद्रिका नदी का स्वरूप गन्दे नाले में तब्दील नजर आता है। जब तक आलमपुर बस्ती से निकलने बाला गंदा पानी नदी में जाने से नहीं रोका जाएगा तब तक सोन भद्रिका नदी के स्वरूप का परिवर्तित आना असंभव है।एक समय वह था जब आलमपुर कस्बे की सोनभद्रिका नदी पर स्नान करने वालों की भारी भीड़ लगी नजर आती थी। लेकिन वर्तमान समय में आलमपुर की प्राकृतिक धरोहर कही जाने बाली आलमपुर की सोनभद्रिका नदी की यह हालत है कि नदी गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। जिसकी बजह से लोग नदी में नहाने से कतराने लगे है।
नदी में जगह जगह लगे गन्दगी के ढ़ेर
आलमपुर कस्बे में स्थित सोनभद्रिका नदी में नाले नालियों तथा शौचालयों से निकलने बाला गंदा पानी पहुंचने की बजह से नदी में जगह-जगह गंदगी के ढ़ेर लगे हुए है। नदी में लगे गंदगी के ढ़ेरों से दुर्गंध उठ रही है। नदी का पानी दूषित होने के कारण नदी से अनेक जल जीव विलुप्त हो गए है। तो वहीं नदी के जल स्त्रोत भी बंद हो गए हैं। यदि सोनभद्रिका नदी में नाले नालियों के माध्यम से फिल्टर शौचालयों का गंद पानी इसी प्रकार जाता रहा तो एक दिन आलमपुर कस्बे के लिए जीवन दायनी कही जाने बाली सोनभद्रिका नदी का अस्तित्व समाप्त ही हो जाएगा।
नदी किनारे की भूमि पर दबंगों का कब्जा
आलमपुर कस्बे में स्थित सोनभद्रिका नदी किनारे की भूमि पर कई जगह दबंगों ने कब्जा कर लिया है। जिससे नदी की चौड़ाई दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। खिरिया घाट से लेकर रजरापुरा तक तो नदी इतनी सिकुड़ चुकी है कि नदी नाले के रूप में नजर आने लगी है।
फैक्ट्री और गोदाम में लगी भीषण, तीन घंटे की मशक्कत के बाद पाया काबू
इंदौर। सांवेर रोड स्थित एक प्लास्टिक दाना फैक्ट्री में रविवार की रात आग लगी । आग इतनी भीषण थी कि दमकलकर्मियों को इस पर काबू पाने में करीब तीन घंटे तक मशक्कत करना पड़ी। बताया जा रहा है कि शार्ट सर्किट से आग लगी थी। फिलहाल यह पता नहीं चल सका है कि आग में कितने का नुकसान हुआ है।
फायर ब्रिगेड के अनुसार घटना सांवेर रोड पर दीपमाला ढाबे और ठक्कर तोल-कांटे के पास 32-33 नंबर प्लॉट पर स्थित प्रगति इंडस्ट्रीज की है। यहां रविवार को देर रात करीब 1.30 बजे फैक्टरी में अचानक आग लग गई। प्लास्टिक दाने व कच्चा माल रखे होने से आग तेजी से फैली और ऊंची लपटें फैक्टरी के बाहर तक नजर आने लगी। आग देख लोगों ने करीब 1.45 बजे फायर ब्रिगेड को सूचना दी। इस पर दमकल की एक गाड़ी मौके पर रवाना हुई। गाड़ी मौके पर पहुंचती तब तक आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी। फायर कर्मियों ने करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह 5.30 बजे तक आग पर काबू पा लिया। आग बुझाने में 6 टैंक पानी और करीब 1000 लीटर फोम का इस्तेमाल करना पड़ा।
बताया जाता है कि पहले फैक्ट्री में आग लगी थी, जो तेजी से फैली और पास ही बने स्क्रेप के गोदाम को भी अपनी चपेट में ले लिया। फिलहाल आगजनी में हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है।