कोझिकोड/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत 2 अक्टूबर को जलवायु परिवर्तन पर हुए ‘पेरिस समझौते’ का अनुमोदन करेगा। हांलाकि सरकार ने पूर्व में यह संकेत दिए थे की इस समझौते पर मुहर लगाने में देरी हो सकती है।
श्री मोदी ने कोझिकोड में जनसंघ के नेता पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्मशती समारोह में कहा कि “ग्लोबल वार्मिंग की बात हो रही है। पंडित जी ने पहले ही कहा था कि प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही दोहन होना चाहिए जितना की उसकी भरपाई हो सके। विश्व भी मान चुका है कि भारत ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में दुनिया का अग्रदूत बना है। हमें गर्व है कि पंडित जी ने पर्यावरण के बारे में हमें चेताया और प्राकृतिक संसाधनों का सीमित दोहन करने की सीख दी। मैं बताना चाहता हूं कि हम 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर पेरिस में हुए ‘कोप समझौते’ को अनुमोदित करेंगे”।
वहीं भारत सरकार ने इससे पहले संकेत दिए थे कि पेरिस जलवायु समझौते पर मुहर लगाने में देरी हो सकती है। भारत का यह रूख परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता न मिलने के बाद आया था। एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे चीन ने पिछले महीने ही पेरिस समझौते पर अपनी मुहर लगा दी थी।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इस बात पर सहमती बनी थी कि सभी अमीर एवं गरीब देश उत्सर्जन को उस हद तक सीमित रखेंगे जिससे तापमान में औसत बढ़ोत्तरी दो 2 सेंटीग्रेड से कम रहे। पेरिस में हुए समझौते में 196 देश शामिल हुए थे। दुनियाभर में होने वाले कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारत का 4.5 प्रतिशत हिस्सा है। भारत को अमरीका और चीन के बाद सबसे ज़्यादा ग्रीनहाउस गैस का प्रसार करने वाला देश माना जाता है।
पेरिस जलवायु समझौते का श्रेय व्हाइट हाउस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया था। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा था कि भारत ने जिस तत्परता से समाधान की दिशा में प्रयास किया उसके लिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा एवं दुनिया के अन्य नेताओं के साथ संपर्क किया था। राष्ट्रपति बराक ओबामा को इस समझौते पर अत्यधिक गर्व है और इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए वह प्रधानमंत्री मोदी के आभारी हैं।