नई दिल्ली। उपभोक्ता फोरम और आयोग की हालत चिंताजनक बताए जाने के मामले में केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की राय से सहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी।
कमेटी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम में राजनीति से जुड़े लोग तिकड़म से घुस जाते हैं और फिर जज की तरह बर्ताव कर बेजा फायदा उठाने में जुट जाते हैं।
पासवान ने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम और राज्य उपभोक्ता आयोग के गठन और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा राज्य सरकारों का है जबकि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के गठन की जिम्मा केंद्र सरकार का है। इस मामले में वे सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को धन्यवाद भी देना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम को एक करोड़ और राज्य उपभोक्ता आयोग काे 10 करोड़ रुपए तक के विवाद की सुनवाई का अधिकार है। पासवान ने कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम और राज्य उपभोक्ता आयोग के मामले में पूरे देश में एकरूपता की कमी है। कहीं सदस्यों को भत्ता मिलता है तो कहीं वेतन। जबकि उपभोक्ता संरक्षण के 90 फीसदी मामले इन्हीं जगहों पर लंबित है।
उन्होंने कहा कि संसद के आगामी सत्र में नया उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित होने की पूरी उम्मीद है। तब वकीलों की जरूरत नहीं होगी और 90 दिन में फैसला सुनाना भी अनिवार्य होगा। पासवान ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश डीके जैन की नियुक्ति के बाद तेजी से काम हो रहा है, जिसकी मीडिया ने भी तारीफ की है।