लखनऊ। 25 वर्ष तक शहर के नेशनल पीजी कालेज में बतौर प्राचार्य कार्य संभालने वाले डा. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में कुलपति का कार्यभार ग्रहण कर लिया।
कार्यभार संभालने के पहले उन्होंने विश्वविद्यालय की धरती का प्रणाम किया और पूरे प्रांगण का निरीक्षण कर अपने छात्र जीवन को याद किया।
उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र, फैकल्टी और कर्मचारियों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और हर प्रकार की चुनौती से लड़ा जाएगा।
25 वर्षों में नेशनल कालेज को फर्श से अर्श पर पहुंचाया
डा. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने नेशनल कालेज को 1991 में ज्वाइन किया था। उस समय कालेज में बीए और बीकाम का कोर्स चल रहा था। कुल चार कमरों में बने इस विद्यालय में कुल आठ फैकल्टी थी। आज इस पीजी कालेज में बीएसई, एमएसई, एमकाम, बीसीए, बीबीए सहित 11 स्ट्रीम हैं। पांच हजार छात्र और 160 शिक्षकों की फैकल्टी है। 2008 में इस विद्यालय को आटोनामस विद्यालय का दर्जा मिला।
2009-10 में इस विद्यालय के सेसन पर सेमेस्टर सिस्टम शुरू कर दिया गया। यह प्रदेश का पहला पीजी कालेज है, जहां पर 50 फीसदी अंक से कम पाने वाले छात्रों के अभिभावकों के साथ पैरेंट्स-टीचर मीटिंग होती है। अप्रैल 2016 में 628 विद्यार्थियों का कैंपस प्लेसमेंट शुरू कराया गया और अब भी यह जारी है।
यूजीसी का दर्जा पाने वाला यह शहर का पहला पीजी कालेज बना। बाद में नेशनल पीजी कालेज को कालेज विद पोटैंशियल एंड एक्सीलेंस का दर्जा मिला। अब यहां पर आनलाइन इंट्रेंस और सेमेस्टर परीक्षाएं भी हो रही हैं, जिसके कारण कई प्रदेशों के विद्यार्थियों को लाभ मिल रहा है।
जहां पढ़े वहीं का चार्ज संभाला
डा. सुरेंद्र प्रताप सिंह मूल रूप से फैजाबाद जिले के निवासी है। उन्होंने 1976 में एलयू से ही पीजी किया और इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री पीजी कालेज गोंडा में इकोनामिक्स के टीचर बने। इसके बाद 1991 में डा. सिंह ने नेशनल कालेज में बतौर प्राचार्य कार्यभार संभाला