नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में सांसदों को संबोधित करते हुए बेनामी संपत्ति और चाणक्य नीति का उल्लेख किया। पीएम मोदी ने कहा कि जो साथ दे रहे हैं, उन्हें साथ लेकर चलना है।
1000 और 500 के संबंध में किया निर्णय इस लड़ाई का महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन आखिरी मंजिल नहीं। मध्यमवर्ग का शोषण रोकना है और गरीबों को हक दिलाना है तो भ्रष्टाचार और कालेधन से उन्हें मुक्त कराना जरूरी है। इसके लिए हिम्मत पूर्वक निर्णय करने होंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। पीएम ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 1971 में नोटबंदी के प्रस्ताव को खारिज किया था, इस वजह से देश की अर्थव्यवस्था आज इस हाल में पहुंची है।
पीएम ने कहा कि 1971 में ही देश को नोटबंदी की जरूरत थी। उन्होंने उस समय में एक सीनियर प्रशासक की किताब का जिक्र करते हुए बताया कि यह प्रस्ताव तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने लाया गया था। इंदिरा गांधी ने यह कहते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि क्या कांग्रेस को आगे चुनाव नहीं लड़ना है।
मोदी ने कहा कि पहले की संप्रग सरकार के समय घोटाले होते थे और विपक्ष इसका विरोध करता था। लेकिन अभी की राजग सरकार ने कालाधन को समाप्त करने का मिशन आगे बढ़ाया है और विपक्ष इसका विरोध कर रहा है।
कांग्रेस को भ्रष्टाचार के पक्षधर के रूप में पेश करते हुए मोदी ने कहा कि उसने 1988 में बेनामी सम्पत्ति संबंधी कानून बनाया लेकिन इसके नियमों एवं नियमन को अधिसूचित नहीं किया ताकि इसे प्रभावी बनाया जा सकता। उन्होंने देश में बेनामी संपत्ति इकट्ठी करने वालों को खुली छूट दे दी।
मोदी ने कहा, ‘अब इस सरकार ने आकर समयानुकूल परिवर्तन किया और परिवर्तन करके उसे नोटिफाई कर दिया। अब मान लीजिए, मैं आगे कोई कदम उठाऊंगा तो फिर ये चिल्लाएंगे कि मोदी ने जल्दबाज़ी क्यों कर दी।
आखिर हमने बेनामी संपत्ति का कानून पारित क्यों किया है? क्या देश ऐसे चलाओगे…?’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सारी मुसीबत की जड़ यह है कि इनके लिए देश से बड़ा दल है, हमारे लिए दल से बड़ा देश है। हमारे लिए देशहित सर्वोपरि है और यह पार्टी हित से ऊपर है। कांग्रेस के लिए पार्टी का हित देश के हित से ऊपर है।
इनसेट
चाणक्य नीति का दिया उदाहरण
बेनामी संपत्ति को लेकर पीएम मोदी ने चाणक्य नीति के 15 वें अध्याय के छठे दोहे का जिक्र किया।
करी अनीति धन जोरेऊ, दसे वर्ष ठहराए।
ग्यारवे के लागते, जड़ऊ मूलते जाए।।
अर्थात् पाप से कमाया हुआ पैसा 10 साल तक रह सकता है। 11वां वर्ष लगते ही वह मूलधन के साथ नष्ट हो जाता है।