भारत अपनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मारक क्षमता और गति में इजाफा करने के साथ ही महाभारत के सुदर्शन चक्र जैसी मिसाइल बनाने पर काम करेगा। मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्यवस्था का सदस्य बनने के बाद भारत ने इसकी तैयारी कर ली है।

मिश्रा ने कहा कि भारत और दुनिया के पास अभी तक ऐसी मिसाइलें हैं, जो लक्ष्य पर प्रहार कर वहीं समाप्त हो जाती हैं, लेकिन भारत ठीक वैसी मिसाइल बनाना चाहता है, जैसे सुदर्शन चक्र दुश्मन पर वार कर वापस लौट आता था। यानी भारत लक्ष्य भेद कर लौटने वाली मिसाइल पर काम करने की तैयारी कर रहा है।
मिश्रा ने बताया कि भारत अपनी क्षमता के दम पर ही ब्रह्मोस की गति और मारक क्षमता में इजाफा करने में भी सक्षम है। अभी ब्रह्मोस की मारक क्षमता 300 किमी है और स्पीड 2.08 मैक। एक मैक का अर्थ होता है ध्वनि के बराबर की गति। ताजा योजना के अनुसार मिसाइल की गति 5 मैक तक करने की योजना है और इस पर अगले दो से तीन साल में काम पूरा होने की उम्मीद है। मिश्रा ने बताया कि मिसाइल 10 मीटर तक नीचे आ सकती है और इतनी देर में दुश्मन टारगेट का मुस्तैद रहना तो दूर अंतिम प्रार्थना करने का भी वक्त नहीं मिलता। मिश्रा ने इस बेहतरीन मिसाइल को तैयार करने का श्रेय डा. एपीजे अब्दुल कलाम को दिया।
टी ब्रेक में आया था ब्रह्मोस का आइडिया
सुधीर कुमार मिश्रा के मुताबिक कलाम साहब 1993 में एक मीटिंग में मास्को गए थे। टी ब्रेक के समय उनकी नजर एक कमरे में रखी अधूरी मिसाइल पर गई। पूछा तो पता चला है कि यूएसएसआर के समय में मिसाइल की रूपरेखा तैयार हुई, लेकिन संयुक्त रशिया टूटने के बाद प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। तब उन्होंने रूस के साथ मिलकर योजना पर काम करने की इच्छा जाहिर की थी। 1998 में समझौते के बाद इस पर सफलता मिली।