लखनऊ। प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतदान के तीसरे चरण में शुक्रवार को चुनाव प्रचार पर रोक लग गई। पिछले 20 दिनों से हो रहा चुनावी शोर-शराबा आज थम गया। इस चरण में 12 जिलों की 67 सीटों पर 19 फरवरी को मतदान होगा। इस चरण में सबसे अधिक सीटे समाजवादी पार्टी की सीटें होने के कारण उसे अपना दुर्ग बचाने की चुनौती है।
सपा के वर्तमान परिदृश्य में मुलायम सिंह यादव के बाहर होने के कारण प्रत्याशियों को जिताने का पूरा जिम्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर है। इस चरण के चुनाव परिणाम बहुत हद तक सपा का भविष्य तय कर देंगे। क्योंकि पिछले चुनाव में इसी चरण में अकेले ही सपा को लगभग 25 फीसदी सीटें मिलीं थीं। वहीं बसपा को सात, भाजपा को चार, कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं जबकि एक निर्दलीय प्रत्याशी को सफलता मिली थी।
इस चरण में औरैया, बाराबंकी, इटावा, फरूर्खाबाद, हरदोई, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, लखनऊ, मैनपुरी, सीतापुर और उन्नाव की 67 सीटों पर दो करोड़ 41 लाख मतदाता 826 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इस चरण में अखिलेश के बाद अगर किसी दूसरे सपाई नेता की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, तो वह हैं पूर्व मंत्री व सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव।
शिवपाल इटावा की जसवंतनगर सीट से पांचवी बार चुनाव मैदान में हैं। शिवपाल के सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती है, क्योंकि गुरूवार को इटावा और मैनपुरी की चुनावी सभा में उनके भतीजे और मुख्यमंत्री ने पारिवारिक घामासान पर खुलकर बोला और कहा कि ‘नेताजी’ से उनके संबंध खराब करने वालों को चुनाव में समझ लें।
इसके साथ ही लखनऊ के सांसद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कानपुर के सांसद डा. मुरली मनोहर जोशी और कानुर के पूर्व सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। इसके साथ ही इस चरण में आधा दर्जन से अधिक प्रदेश सरकार के मंत्रियों सहित कई दिग्गजों के भाग्य का फैसला 19 फरवरी को होगा।
इसमें मंत्री अरविंद सिंह ‘गोप’, नितिन अग्रवाल, रविदाय मेहरोत्रा, नरेंद्र वर्मा, अरुणा कोरी, फरीद महफूज किदवई के साथ ही पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ल के अलावा भाजपा के हृदय नारायण दीक्षित व पूर्व मंत्री सतीश महाना, मुलायम सिंह की छोटी बहु अपर्णा यादव तथा लखनऊ कैंट से वर्तमान विधायक व भाजपा प्रत्याशी डा. रीता बहुगुणा जोशी शामिल हैं।