अशोक पाण्डेय-
गंगा कभी उलटी नहीं बहती लेकिन शिव के भक्तों ने आज यह कहावत ही झूठी कर दी। गंगा तो वैसे ही गतिमान रही लेकिन गंगासागर को आज काशी आना पड़ा। काशी के लोगों ने रविवार को कमाल कर दिया और पूरे शहर को केसरिया सैलाब में डुबोकर साबित कर दिया कि काशी शहर नहीं संस्कृति है।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, ‘कौन्तेय इतिहास बनने का पहला सिद्धांत यही है कि भय से मुक्त हो; भय चाहे मृत्यु का हो, रिश्तों का हो या यश अपयश का हो, उसे त्यागता पड़ेगा। और इतिहास गवाह है कि ‘अर्जुन’ आज भी इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण इबारत की तरह हैं। रविवार को नरेन्द्र मोदी ने शिव की नगरी में कृष्ण के वचनों को पूरा किया।
काशी की गलियों में लाल और पीले फूलों की नदियों के महासंगम से केसरिया गंगासागर उमड़ पड़ा। उम्मीदों के विपरीत जिसका डर था बेदर्दी वही बात हो गई। मोदी ने आज उस डर को जीत लिया और तमाम सुरक्षा प्रबंधों को धता बताते हुए एक नया इतिहास रच दिया। भुवन भास्कर ज्यों-ज्यों अस्ताचल की ओर बढ़ रहे थे, त्यों-त्यों काशी की गलियों में अंधियारा पसर रहा था और एसपीजी अफसरों की आखों के सामने धुंधलका छा रहा था और माथे पर पसीना।
लाखों के जनसैलाब में हजारों हाथों में मोबाइल की रोशनी कुछ इस तरह लग रही थी जैसे आसमान में तारे जगमगा रहे हों। और उन सबके बीच मोदी पूर्णिमा की चांद की तरह धवल चांदनी बिखेर रहे थे। मोदी ने आपने साहस से सभी आशंकाओं को निर्मूल कर दिया, उन्होंने अपने को काशी की धर्मभीरु जनता के हाथों में सौंप दिया। अपने को मां गंगा का बेटा बताने वाले मोदी ने एसपीजी की बजाय मां गंगा के आंचल के सुरक्षा आवरण पर भरोसा किया।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के महाभारत के चक्रव्यूह का सातवां द्वार आठ मार्च को भेदा जाएगा। मोदी काशी की उसी धरती से सांसद हैं जहां से फाइनल राजतिलक होना है। अंतिम चरण में 40 सीटों पर वोट पड़ेंगे। भाजपा की नहीं मोदी की निजी साख दांव पर है। इन सभी सीटों पर भाजपा नहीं, मोदी ही चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री को अहसास है कि यदि शिव की नगरी में भाजपा का त्रिशूल गहरे तक न गड़ा तो लखनऊ तक कमल की सुगंध पहुंचना कठिन होगा। कल विपक्षी दलों के नेताओं ने मोदी के रोड शो पर कम भीड़ होने का कटाक्ष किया था और इस बात की आशंका जताई गई थी कि रविवार को दूसरे दिन के रोड शो में भीड़ कम होगी, लेकिन काशी ने आज कमाल कर दिया। शानिवार की अपेक्षा रविवार को दोगुना जन सैलाब था। अंतिम चरण की 40 सीटों पर यदि यह सैलाब ईवीएम तक पहुंच गया तो नतीजे मनभावन होंगे।