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आरबीआई ने रेपो रेट यथावत रखा, रिवर्स रेपो रेट में की बढ़ौत्तरी

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आज रेपो रेट जारी किए हैं। इसमें रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत ही रखकर उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

लेकिन रिवर्स रेपो रेट को बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले यह दर 5.75 फीसदी थी। दो दिन चलने वाली समिति की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक बुधवार से शुरू हो गई थी।

बता दें कि ये आज रिजर्व बैंक 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आठ फरवरी को पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।

पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में दरों को 6.25% पर बरकरार रखा
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने 8 फरवरी को पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। पटेल ने कहा कि वह नीतिगत दर में बदलाव से पहले मुद्रास्फीति प्रवृत्ति और वृद्धि पर नोटबंदी के प्रभाव को लेकर चीजें स्पष्ट होने का इंतजार करेंगे। थोक मुद्रास्फीति फरवरी में 39 महीने के उच्च स्तर 6.55 प्रतिशत रही जबकि खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.65 प्रतिशत पहुंच गई। खाद्य एवं ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई दर में बढ़ौतरी हुई है।

ये सदस्य शामिल हैं समिति में 

मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल.ए. आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक इसके सदस्य हैं।

क्या होती है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।

रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।

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