लखनऊ। इलाहाबाद सहित यूपी के कई नगर निगमों में वंदे मातरम को लेकर हुए विवाद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकीर्ण मानसिकता करार दिया है।
राजभवन में ‘द गवर्नर्स गाइड’ किताब का विमोचन करते हुए योगी ने कहा, ‘हम 21वीं सदी में भारत को आगे ले जाना चाहते हैं, लेकिन विवाद है कि हम राष्ट्रगान-राष्ट्रगीत गाएंगे कि नहीं। यह चिंता कि विषय है। यह संकीर्णता को दिखाता है।’
वंदे मातरम को लेकर मेयर ने दी तहरीर
इलाहाबाद हाईकोर्ट की 150वीं वर्षगांठ के समापन समारोह का जिक्र करते हुए योगी ने कहा, ‘हाईकोर्ट के कार्यक्रम में राष्ट्रगीत का गायन हुआ।इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस और राज्यपाल भी मौजूद थे। लेकिन आज प्रदेश में एक बात को लेकर विवाद हो रहा है।
कुछ लोग कह रहे हैं हम वंदे मातरम नहीं गाएंगे। इस संकीर्णता से उबरने के लिए भी हमें रास्ता तलाशना होगा। लोगों को कर्तव्यों के प्रति गाइड करने के लिए भी किताब की जरूरत है।’
घर से प्यार करते हैं तो घर खुदा है , दुकान से प्यार करते हैं तो दुकान खुदा है, जो माटी खाना देती है वह खुदा है , खुदा कहीं और थोड़े ही बैठा हैयोगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल की भूमिका की चर्चा करते हुए कर्तव्य और अधिकारों की भी बात की। उन्होंने कहा, ‘अक्सर कर्तव्य और अधिकारों को लेकर लड़ाई होती है। हम कर्तव्य को पीछे छोड़कर अधिकार के लिए सीना तानते हैं।
संविधान ने किसी को अधिकार दिए हैं तो कर्तव्य भी दिए हैं। हम सबको याद रखना होगा कि गुड गवर्नेंस रूल ऑफ लॉ से ही आ सकता है। इसके लिए जरूरी है कि सभी लोग अपने कर्तव्य का पालन करें।’
क्या है पूरा विवाद
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के कई नगर निगमों में वंदे मातरम को लेकर विवाद हुआ है। विवाद की शुरुआत मेरठ से हुई, जहां नगर निगम की बैठक में कुछ पार्षदों ने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया था।
इलाहाबाद नगर निगम में भी बीजेपी पार्षदों ने कार्यवाही की शुरुआत में राष्ट्रगीत गायन को अनिवार्य बनाए जाने के प्रस्ताव रखा तो समाजवादी पार्टी के पार्षदों ने विरोध किया। बरेली और वाराणसी में भी इसी मुद्दे पर विवाद हुआ।