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जानिए कौन है आफरीन शेख, जिनका PM मोदी ने 'मन की बात' में लिया नाम

जानिए कौन है आफरीन शेख, जिनका PM मोदी ने ‘मन की बात’ में लिया नाम

गुजरात के ऑटो रिक्शा चालक की बेटी आफरीन शेख की काबिलियत और उनकी प्रतिभा की तारीफ करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नहीं भूले। अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने आफरीन की जमकर सराहना की। आफरीन भी बेहद खुश हैं, क्योंकि पीएम मोदी ने आज उनके नाम का जिक्र ‘मन की बात’ में किया।जानिए कौन है आफरीन शेख, जिनका PM मोदी ने 'मन की बात' में लिया नाम

मैं बहुत खुश हूं : आफरीन

गुजरात बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में 98.31 फीसद अंक हासिल करने वाली आफरीन शेख ने कहा, ‘मैं बेहद खुश हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने आज (29 जुलाई) मेरे नाम का जिक्र मन की बात में किया। यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है। मेरी कड़ी मेहनत का फल मिल गया। मेरा मानना है कि विजेता कभी नहीं हारता और हार मानने वाला कभी नहीं जीतता।’

मन की बात में क्या बोले मोदी

रविवार (29 जुलाई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 46वीं बार मन की बात कर देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने ऐसे कई छात्रों का उल्लेख किया जिनकी जिंदगी प्रेरणादायक रही है। उन्होंने सबसे पहले मध्यप्रदेश के अत्यंत गरीब परिवार के आशाराम चौधरी का जिक्र किया, जिन्होंने जीवन की चुनौतियों को पार करते हुए जोधपुर एम्स की एमबीबीएस की परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि दृढ़संकल्प से सब हासिल हो सकता है। मोदी ने कहा, ‘ऐसे कितने ही छात्र हैं जो गरीब परिवार से हैं और विपरीत परिस्थितयों के बावजूद अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जो हम सबको प्रेरणा देता है।

पीएम ने इन बच्चों के नामों का किया जिक्र

–  दिल्ली के प्रिंस कुमार, जो सरकारी स्कूल के टॉपर हैं। इन्होंने 12वीं में साइंस स्ट्रीम से 97 प्रतिशत अंक हासिल किए है। प्रिंस के पिता DTC में बस चालक हैं।

– कोलकाता के अभय गुप्ता, जिन्होंने स्ट्रीट लाइट के नीचे अपनी पढ़ाई की।

– अहमदाबाद की बिटिया आफरीन शेख, गुजरात बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में 98.31 फीसद अंक हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया।

– नागपुर की बेटी खुशी, जिनके पिता स्कूल बस के ड्राइवर हैं। जिसने 93.2 फीसद अंक पाकर मिसाल पेश की।

– हरियाणा के कार्तिक, इनके पिता चौकीदार हैं। 10वीं में कार्तिक ने 500 में से 498 अंक हासिल कर पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया।

– झारखंड के रमेश साहू, जिनके पिता ईंट-भट्टा में मजदूरी करते हैं। ख़ुद रमेश भी मेले में खिलौना बेचा करते थे।

– गुड़गांव की दिव्यांग बेटी अनुष्का पांडा, जो जन्म से ही स्पाइनल अट्रोफी नामक एक आनु‌वांशिक बीमारी से पीड़ित है।

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