शाह ने कहा कि ममता के पूर्व सहयोगी मुकुल रॉय भी भाजपा में इसीलिए शामिल हुए थे कि ममता को राज्य की सत्ता से उखाड़ फेंक दिया जा सके। उन्होंने कहा ‘अगर आप देश और दुनिया के इतिहास को देखेंगे तो आप पाएंगे कि हर अत्याचारी जिसने भाषण की आजादी को रोकने की कोशिश की है और आम आदमी को दंडित किया है, जिसने आवाज को दबाया है, वह व्यक्ति निश्चित रूप से नीचे गिरा है। यहीं बंगाल में टीएमसी के साथ भी हो रहा है।’
हालांकि टीएमसी ने अमित शाह को उनके बयान के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए माफी मांगने को कहा है। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने उनके इस बयान का पलटवार करते हुए कहा है कि अमित शाह बंगाल की संस्कृति नहीं जानते। जो कुछ भी उन्होंने कहा है वो बंगालियों का अपमान है। उन्हें इसके लिए माफी मांगनी होगी।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा शाह की रैली में ‘बंगाल विरोधी’ और ‘भाजपा वापस जाओ’ के होर्डिंग और पोस्टर लगाए जाने को लेकर भाजपा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि भाजपा न तो असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), जिसकी ममता बनर्जी ने दृढ़ता से आलोचना की है, की विरोधी है और न ही भाजपा बंगाल विरोधी है। उन्होंने कहा कि वह (ममता बनर्जी) कैसे भाजपा को बंगाल विरोधी और बंगाली विरोधी कह सकती हैं, जबकि भाजपा के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी बंगाल में जन्म लिए थे और वो बंगाली थे।
शाह ने ममता को ‘यू-टर्न दीदी’ कहकर उनका मजाक भी उड़ाया और कहा कि 2005 में उन्होंने लोकसभा में मांग की थी कि बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को देश से बाहर कर दिया जाए। लेकिन अब वो एनआरसी का विरोध कर रही हैं। अमित शाह ने कहा कि मैं ये आश्वस्त करता हूं कि हम चुन-चुन कर अवैध प्रवासियों और विदेशियों को देश से निकालेंगे।
उन्होंने हजारों की संख्या में आए समर्थकों से अपील की कि अगर कोई बांग्लादेशी अवैध रूप से भारत में घुसता है तो आप हमें बताएं, हम उन्हें तत्काल ही देश से बाहर निकाल देंगे। उन्होंने कहा कि हमने असम और देशभर के अवैध प्रवासियों को देश से बाहर करने का संकल्प किया है और इससे हम पीछे नहीं हटेंगे।
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