कानपुर की गंगा नदी में किस जिले से कितना प्रदूषण आ रहा है? अब इसका पूरा ब्यौरा तैयार होगा। प्रदूषण के आकलन के साथ यह भी आंकड़ा तैयार होगा कि गंगा में सहयोगी नदियों के जरिये जिलों से कितना पानी आ रहा है। इसके लिए केंद्रीय जल आयोग गंगा किनारे छह नई साइट खोल रहा है।
इन साइट पर काम शुरू हो गया है। पांडु और ईसन नदी के गंगा में मिलने वाले पानी की पहली बार बजटिंग होगी। गंगा में अधिक प्रदूषण घोलने वाले जिलों में प्रदूषण रोकने के लिए संयंत्र लगाए जाएंगे।
केंद्रीय जल आयोग गंगा बेसिन की पांडु नदी, ईसन, काली नदी और कृष्णा नदी पर छह नई साइट खोलने जा रहा है। केंद्र सरकार से साइट पर प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद टेंडर जारी कर दिए गए हैं। गंगा नदी पर जल आयोग की छह साइट पहले से चल रही हैं। नई मिलाकर अब कुल 12 साइट हो जाएंगी। पांडु, ईसन और कृष्णा नदी पर पहली बार साइट शुरू की जा रही है। काली नदी पर एक साइट पहले से चल रही है। दो नई साइट खुलने से अब यहां तीन साइट हो जाएंगी।
केंद्रीय जल आयोग के सब डिवीजनल इंजीनियर केके पांडेय ने बताया कि छह नई साइट के प्रस्तावों को मंजूरी मिलने के बाद टेंडर जारी हो गए हैं। साइटों पर मुख्य रूप से गंगा की स्वच्छता को लेकर काम होगा।
इससे पता चलेगा कि गंगा में मिलने वाली सहयोगी नदियों में किस जिले से कितना प्रदूषण, गंदगी और पानी आ रहा है। सहयोगी नदियों से गंगा को मिलने वाले कुल पानी का ब्योरा भी तैयार होगा। प्रदूषित, गंदा पानी प्रवाहित करने वाले जिलों में फिल्टर लगाए जाएंगे। शोधित जल को ही गंगा में छोड़ने दिया जाएगा।
केंद्रीय जल आयोग की नई साइट
– पांडु नदी पर पुरवामीर में
– ईसन नदी पर उसमारा और बिल्हौर में
– काली नदी पर कासगंज और अतरौली में
– कृष्णा नदी पर बांगरमऊ, उन्नाव में
जल आयोग की पहले चल रहीं साइट
गुमटिया (कन्नौज), अंकिंग घाट (अरौल), शुक्लागंज, बिटौरा (फतेहपुर), डलमऊ (रायबरेली), बेवर (मैनपुरी)