1000 और 500 रुपये की पुरानी करेंसी आज भी बदली जा रही है।’ यह बात आपको हैरान जरूर कर सकती है, लेकिन सौ फीसदी सच है। यह काम गैरकानूनी है, लेकिन चोरी छिपे चल रहा है। जब कभी पुराने नोटों की खेप आते जाते पकड़ ली गई तो मामला सामने आ जाता है। वर्ना पुराने नोटों के सौदागरों तक पहुंचना आसान नहीं है।
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ये नोट कहां और कैसे बदले जा रहे हैं। तो जान लीजिए, 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों की अदला बदली पड़ोसी देश नेपाल और भूटान में हो रही है। स्वदेश में यह काम भले ही गैर कानूनी हो, लेकिन पड़ोसी देश में यह धंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है। अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया है कि यदि कोई अपने पुराने नोट नेपाल या भूटान तक पहुंचा ले जाए तो कूड़ा हो चुके इन नोटों के बदले 20 से 25 फीसदी कीमत मिल जाती है। यदि कोई नेपाल या भूटान तक करेंसी पहुंचाने का जोखिम नहीं लेना चाहता तो इस काम के लिए एजेंट भी सक्त्रिस्य हैं। इनकी पहुंच नेपाल की बैंकों से लेकर वहां के बड़े कारोबारियों के बीच है। घर बैठेे पुराने नोट बदलवाने पर 15 फीसद कीमत वापस मिलती है। नोट यदि नेपाल या भूटान में सीधे पहुंचा दिए जाएं तो कीमत 25 फीसदी तक मिल जाती है। शहर में कई एजेंट सक्त्रिस्य हैं।
नेपाल-भूटान में फंसे हैं 4000 करोड़ रुपये
बैंकिंग मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि नोटबंदी के समय पड़ोसी देशों के बैंकिंग सिस्टम में पुरानी करेंसी पूरी तरह वापस नहीं हो सकी। अभी भी वहां करीब 4000 करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 1000 के नोट बाजार, बैंक और कारोबारियों के पास जमा हैं। नेपाल और भूटान की सरकारें और वहां का बैंकिंग सिस्टम इस बात के लिए प्रयासरत है कि भारत सरकार उनके यहां जमा पुराने नोटों को बदल ले। यह उम्मीद वहां के हर बड़े कारोबारी, व्यापारी और बैंक प्रतिनिधियों को है कि एक न एक दिन भारत सरकार उन्हें पुराने नोट बदलने का मौका जरूर देगी। इसी आड़ में वहां करेंसी बदलवाने वाले एजेंट सक्त्रिस्य हो गए हैं। बताते तो यहां तक हैं कि नेपाल के बाजारों में एक हजार रुपये का नोट 100 रुपये कीमत पर चल रहा है।
जो वापस नहीं आए, वही बदल रहे
नोटबंदी के दौरान कुल करेंसी में 500 और 1000 के नोटों की हिस्सेदारी 86.4 फीसदी थी। 500 रुपये के 1,716.5 करोड़ नोट बाजार में थे। इनकी कीमत 8.58 लाख करोड़ रुपये थी। वहीं 1000 रुपये के 685 करोड़ नोट चलन में थे। इनकी कुल कीमत 6.86 लाख करोड़ रुपये थी। रिजर्व बैंक की अगस्त-18 में आई सालाना रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद 15.31 लाख करोड़ रुपये वापस आए। बताते हैं कि यह आंकड़ा भी सही नहीं है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने मार्च 2017 में भी एक आंकड़ा पेश किया था। उन दोनों में बड़ा फर्क है। रिजर्व बैंक ने आज तक 500 रुपये के नोटों की वापसी का आंकड़ा जारी नहीं किया।
इस साल बरामद हुई खेप
साल की शुरुआत में मेरठ के कंकरखेड़ा स्थित राजकमल एनक्लेव में बिल्डर संजीव मित्तल के घर छापेमारी कर पुलिस ने 25 करोड़ की पुरानी करेंसी बरामद की थी। इसमें एक दलाल, बिल्डर और उसके तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। जांच में सामने आया कि एक तेल कंपनी और एक एनजीओ यह रकम नई करेंसी से बदलवाने वाले थे। बिल्डर ने नोट बदलवाने का ठेका लिया था।
कानपुर से 96 करोड़
जनवरी में कानपुर शहर के स्वरूपनगर इलाके में एक बंद मकान से 96 करोड़ 62 लाख रुपये के पुराने नोटों का जखीरा मिला था। इसमें शहर के कपड़ा कारोबारी व बिल्डर आनंद खत्री समेत 16 लोग गिरफ्तार हुए थे। मनी एक्सचेंजरों के पास से बरामद 96 करोड़ 62 लाख रुपये में से 45 करोड़ रुपये आनंद खत्री के थे। बाकी रकम शहर के अन्य कारोबारियों की थी। इस रकम को भी एजेंटों जरिये बदलवाया जाना था।
कानपुर में 300 करोड़ रुपये डंप
अनुमान के मुताबिक शहर में अभी भी करीब 300 करोड़ रुपये के पुराने नोट डंप हैं। नोट बदलवाने के लिए एजेंट सक्त्रिस्य हैं। समय समय पर इसकी खेप नेपाल और भूटान तक पहुंचाई जाती है। आनंद खत्री के पकड़े जाने के बाद मनीएक्सचेंजरों ने अपने काम का तरीका बदल दिया है। बताते हैं कि बड़ी रकम एक साथ पहुंचाने के बजाय टुकड़ों में इसकी सप्लाई की जा रही है।