लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में विभागीय कार्यों की समीक्षा की और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी प्रकरणों और संदर्भों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। मंत्री उपाध्याय ने बैठक के दौरान कहा कि छात्रहितों और शैक्षिक सुधारों से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की देरी अस्वीकार्य है और इसमें तेजी से कार्य करना अनिवार्य है।
छात्रहित सर्वोपरि:
मंत्री ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि छात्रहित से जुड़े सभी कार्यों का समयबद्ध रूप से निपटारा किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि देरी न केवल प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करती है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। अतः इस प्रकार की देरी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
त्वरित निस्तारण पर जोर:
मंत्री उपाध्याय ने कहा कि विभागीय मामलों में त्वरित निस्तारण ही शिक्षा सुधारों की दिशा में उठाया गया एक प्रमुख कदम होगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी कार्यवाही समयसीमा के भीतर पूरी की जाए और संबंधित अधिकारियों और मंत्री कार्यालय को कार्यवाही की जानकारी दी जाए।
कार्यप्रणाली में सुधार की मांग:
बैठक में मंत्री ने विभागीय प्रक्रियाओं को और अधिक सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विभागीय कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए सुधारात्मक उपाय अपनाए जाने चाहिए।
उच्च शिक्षा में सुधार का संकल्प:
उच्च शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए सभी स्तरों पर सक्रियता और समर्पण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव तभी संभव है जब सभी अधिकारी और कर्मचारी पूरी जिम्मेदारी और समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।
मंत्री उपाध्याय की यह बैठक राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने और विभागीय कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। बैठक के दौरान सभी अधिकारियों ने मंत्री को अपने-अपने विभागों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की और आगे की कार्ययोजना पर चर्चा की।
प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने पर बल:
मंत्री ने विभागीय कार्यों को और भी अधिक प्रभावी बनाने के लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में यह भी चर्चा की गई कि किस प्रकार से प्रक्रियाओं में सुधार लाकर कार्यों को अधिक तेज़ी और पारदर्शिता से पूरा किया जा सकता है।
छात्रहितों की प्राथमिकता:
मंत्री ने स्पष्ट किया कि छात्रहितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए और उनके शैक्षिक करियर से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। बैठक में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के विभिन्न आयामों पर चर्चा हुई, जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, छात्रों के लिए नई सुविधाओं की व्यवस्था करने और शिक्षा संस्थानों के बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल थे।
निष्कर्ष:
मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने अंत में कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए सभी स्तरों पर सक्रियता और समर्पण आवश्यक है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे विभागीय कार्यों को कुशलता और पारदर्शिता के साथ पूरा करें ताकि राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।
इस बैठक के बाद उच्च शिक्षा विभाग से संबंधित सभी लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे छात्रों और शैक्षिक संस्थानों को लाभ होगा।