तुर्की की पिनार ने महाकुम्भ में पहली बार भारतीय संस्कृति का अनुभव किया। गंगा स्नान, तिलक और संगम की रेत पर चलने का अनुभव उनके लिए अविस्मरणीय रहा। पिनार ने भारतीय परंपराओं और सनातन धर्म के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
महाकुम्भ 2025 का आयोजन दिव्यता और भव्यता के साथ हो रहा है, और इसके प्रभाव से न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी लोगों में उत्साह देखा जा रहा है। तुर्की की रहने वाली पिनार ने पहली बार महाकुम्भ के बारे में अपने दोस्तों से सुना था और भारत आकर इसे देखने की ख्वाहिश थी। पिनार ने संगम पर पहुंचकर गंगा स्नान किया और तिलक लगाकर सनातन धर्म की राह पर चलने का अनुभव किया।
पिनार ने कहा कि महाकुम्भ का माहौल उनके लिए पूरी तरह से अविस्मरणीय था। गंगा स्नान और संगम की रेत पर चलने का अनुभव बेहद विशेष था। भारत की संस्कृति और परंपराओं से गहरे प्रभावित पिनार ने महाकुम्भ के आयोजन को दिव्य और भव्य बताया। उनका कहना था कि महाकुम्भ में ऊर्जा और वातावरण उन्हें भारतीय परंपराओं के गहरे अर्थ को समझने का अवसर देता है।
महाकुम्भ में पिनार ने स्नान, ध्यान और तिलक के जरिए भारतीय संस्कृति के प्रति अपने सम्मान को व्यक्त किया। पिनार के इस आध्यात्मिक अनुभव ने भारतीय संस्कृति के प्रति विदेशों में भी जागरूकता और श्रद्धा बढ़ाई है।
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