एम्स रायबरेली अस्थमा जागरूकता कार्यक्रम के तहत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), मुंशीगंज रायबरेली में विश्व अस्थमा दिवस 2025 के अवसर पर एक जागरूकता अभियान चलाया गया। कार्यक्रम में एम्स के वरिष्ठ चिकित्सकों ने आम जनता को अस्थमा की गंभीरता, उसके लक्षण, कारण और रोकथाम के उपायों के प्रति सजग किया।
इस अवसर पर डॉ. नीरज श्रीवास्तव (एसोसिएट प्रोफेसर, जनरल सर्जरी एवं अपर चिकित्सा अधीक्षक), डॉ. मधुकर मित्तल (हेड ऑफ जनरल मेडिसिन), डॉ. प्रमोद कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, जनरल मेडिसिन), डॉ. मृत्युंजय (हेड ऑफ पीडियाट्रिक्स), और डॉ. आर. एस. दास (हेड ऑफ एनाटॉमी) विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि अस्थमा एक पुरानी सूजन संबंधी बीमारी है, जिसमें श्वसन मार्गों में घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न और लगातार खांसी जैसे लक्षण होते हैं। यह स्थिति गंभीर रूप ले सकती है यदि समय रहते पहचान और उपचार न किया जाए।
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विशेषज्ञों ने बताया कि अस्थमा के प्रबंधन में राहत देने वाली दवाएं (Reliever Medications) और नियंत्रण करने वाली दवाएं (Controller Medications) कारगर होती हैं। साथ ही, ट्रिगर फैक्टर जैसे धूल, धुआं, प्रदूषण, ठंडी हवा और मानसिक तनाव से बचाव भी आवश्यक है। नियमित चिकित्सीय निगरानी और समय-समय पर स्पाइरोमेट्री टेस्ट से अस्थमा की पहचान और निगरानी में मदद मिलती है।
डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आम लोगों को अस्थमा के प्रति संवेदनशील बनाना था। उन्होंने बताया कि इस दौरान मरीजों और परिजनों को अस्थमा के लक्षण, उपचार की विधियाँ, बचाव और जीवनशैली में बदलाव के बारे में जानकारी दी गई।
अंत में, सभी विशेषज्ञों ने इस बात पर बल दिया कि एम्स रायबरेली अस्थमा जागरूकता अभियान सिर्फ एक दिन की गतिविधि नहीं है, बल्कि यह जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर जागरूकता फैलाने की दिशा में एक पहल है।