लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा है कि विधानसभा में समितियां मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं और विधायकों को अपनी व्यावहारिक क्षमता का प्रदर्शन करने की आवश्यकता है। नवगठित समितियों की बैठकों के उद्घाटन सत्र के दूसरे दिन, उन्होंने विधायकों को उनके जिम्मेदारियों के बारे में विस्तार से समझाया।
विधान भवन में आयोजित बैठक में महिला एवं बाल विकास, स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा, पंचायती राज, और अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों संबंधी संयुक्त समितियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “समितियों का लोकतंत्र में बड़ा महत्व है। हम राजनीति में ‘बाय चांस नहीं, बाय च्वाइस’ आए हैं, इसलिए जनहित के कार्यों के लिए हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि समितियां विधानसभा के कार्यों का अनुश्रवण करती हैं और सत्र के अलावा भी पूरे वर्ष कामकाज चलता रहता है। सभी विधायकों को पूरी निष्ठा से इन बैठकों में भाग लेना चाहिए। उन्होंने विधायिका के सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि विधायिका का सम्मान खत्म होने पर लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा।
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इस अवसर पर प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष को हाल ही में मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है, जो यूपी के इतिहास में पहली बार है। इस पर सभी सदस्यों ने तालियां बजाकर उन्हें बधाई दी।
महिला एवं बाल विकास समिति की सभापति नीलिमा कटियार, स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा समिति के सभापति मनीष असीजा, पंचायती राज समिति के सभापति लोकेन्द्र प्रताप सिंह, और अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं विमुक्त जातियों संबंधी समिति के सभापति श्रीराम चौहान ने भी अध्यक्ष को धन्यवाद दिया और उनका आभार व्यक्त किया।
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