मीरजापुर। उपकृषि निदेशक विकेश पटेल ने बताया कि पराली जलाने की बजाए किसान कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) का प्रयोग करते हुए पराली का प्रबंधन कटाई के समय ही करें।
सुपर एसएमएस के विकल्प के रूप में अन्य यंत्र स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक व बेलर, मल्चर, पैडी स्ट्राचापर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लैशर, रिवर्सबुल एमबी प्लाऊ का भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे खेत में फसल अवशेष बंडल बनाकर अन्य उपयोग में ला सकते हैं। संचालक एसएमएस की व्यवस्था कराते हुए ही कटाई कराएं। अन्यथा हार्वेस्टर सीज हो जाएगा।
उपकृषि निदेशक ने कहा कि खरीफ मौसम में तैयार हो रही धान की फसल की कटाई के बाद किसान पराली को खेत में ही जला देते हैं, इससे वायु प्रदूषण होता है।
किसानों से खेत में फसल अवशेष जलाने पर जुर्माना वसूला किया जाता है। दो एकड़ जलाने पर 2500, 2 से 5 एकड़ जलाने पर 5000 एवं 5 एकड़ से अधिक पराली जलाने पर 15,000 का अर्थदंड वसूला जाएगा। किसान पराली का उपयोग खेत में खाद के रूप में कर सकते हैं।
एडीएम वित्त व राजस्व शिव प्रताप शुक्ल ने ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रीय लेखपाल को निर्देश दिया कि पराली व कृषि अपशिष्ट न जलाने दें। घटना प्रकाश में आने पर संबंधित लेखपाल भी जिम्मेदार होंगे। पराली जलाने पर जुर्माना लगेगा।
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