बढ़ता प्रदूषण बढ़ा रहा है दमा के मरीज—यह चेतावनी अब केवल अनुमान नहीं, बल्कि चिकित्सा संस्थानों की रिपोर्टों से प्रमाणित हो चुकी है। दिल्ली सहित कई महानगरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुका है, जिससे अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के मरीजों की संख्या में 15-20% तक वृद्धि दर्ज की गई है।
AIIMS दिल्ली के डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी की शिकायतें बढ़ी हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में ये लक्षण अधिक गंभीर रूप से सामने आ रहे हैं।
हाल ही में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया कि PM2.5 कणों की मात्रा में 10 माइक्रोग्राम/घन मीटर की वृद्धि से बच्चों में अस्थमा का खतरा 21.4% तक बढ़ जाता है।
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सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कदम उठाए हैं, जैसे पराली जलाने पर दंड बढ़ाना और निर्माण कार्यों पर रोक लगाना। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक दीर्घकालिक नीतियां नहीं अपनाई जातीं, तब तक स्थिति में सुधार संभव नहीं है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोग बाहर निकलने से पहले AQI की जांच करें, मास्क पहनें और घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें। साथ ही, अस्थमा के मरीजों को अपनी दवाओं का नियमित सेवन और डॉक्टर से परामर्श बनाए रखना चाहिए।
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