Wednesday , November 27 2024
कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित करते अतिथि व कविगण

बलिया: कविताओं-ग़ज़लों में जीवंत हुईं ‘नेता जी’ की स्मृतियाँ

बलिया। समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव की जयंती के उपलक्ष्य में गंगा बहुद्देश्यीय सभागार में मंगलवार की शाम कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन हुआ। फुलेश्वरी देवी शिक्षण संस्थान, फेफना के तत्वाधान में आयोजित कविताओं और गजलों की इस शाम में मुलायम सिंह यादव की स्मृतियां जीवंत हुईं।

देश के जाने-माने कवियों और शायरों को सुनने के लिए आये लोगों से विशाल सभागार खचाखच भरा था। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत बतौर मुख्य अतिथि गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बलिया की इस धरती से मेरा करीबी रिश्ता है। बलिया मेरा ननिहाल है। उन्होंने अपनी बात काव्यात्मक ढंग से कहते हुए कहा कि ”यहां के फूल में जो ताजगी है, रौनक है, किसी चमन के मुकद्दर में आ नहीं सकती, ये सरजमीं है बहादुर वतनपरस्तों की, यहां की खाक को हर खाक पा नहीं सकती।

उन्होंने विशाल ऑडिटोरियम के लिए तत्कालीन राजस्व मंत्री अम्बिका चौधरी को बधाई दी। वहीं, कवि सम्मेलन व मुशायरे की अध्यक्षता करते हुए वयोवृद्ध राजनेता और प्रख्यात कवि डा उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मैंने मुलायम सिंह यादव को छात्र, अध्यापक और नेता हर रूप में देखा। हर रूप में वे दिल जीत लेते थे। वे कमजोरों के हिमायती थे। कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए मशहूर कवियत्री डा. सरिता शर्मा ने ‘कोई कोना न बचे गम की स्याही के लिए…’ सुनाकर कवि सम्मेलन को धार दी।

मशहूर शायरा शबीना अदीब ने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन व मुशायरे की शुरुआत की। उन्होंने ‘मां शारदे वरदान दो वरदान दो…’ से अपनी काव्य यात्रा शुरू की। फिर उन्होंने ‘….तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है…’ से श्रोताओं के दिल पर मजबूत दस्तक दी। इसके बाद पहले कवि के रूप में हास्य व्यंग्य के मशहूर कवि शम्भू शिखर ने खुद को ताजे फल के रूप में प्रस्तुत किया तो लोगों ने जमकर तालियां बजाई। उन्होंने जब कहा ‘लालू से मिलो वो तुम्हे बिहारी न कर दे…योगी जी तुम्हे ट्रम्प से तिवारी न कर दे…’ तो हॉल ठहाकों से गूंज उठा। ‘…अपने मुलायम जी जैसा दोबारा नहीं होगा…’ को भी लोगों ने खूब पसंद किया। वहीं, अयोध्या से आये कवि जमुना उपाध्याय ने सुनाया ‘…नमन सौ बार है ऐसे दिए को जो बुझकर भी उजाला दे रहा है…’ इसके अलावा उन्होंने राजनीति पर करारी टिप्पणी की तो खूब ताली बजी। ख्यातिलब्ध शायर चरण सिंह बशर ने ‘ये दुनिया नफरतों की आखिरी स्टेज में है, इलाज इसका मोहब्बत के शिवा कुछ भी नहीं …’ और ‘फूल था मैं मुझको एक कांटा बनाकर रख दिया, और अब कांटे से कहते हो कि चुभना छोड़ दे…’ सुनाया तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया।

इसके बाद युवा कवि नीलोत्पल मृणाल ने ‘हम मिट्टी के लोग हैं बाबू…’ सुनाकर पहली ही लाइन पर लोगों का खूब प्यार पाया। ‘उस दौर का जादू क्या जाने ये रील बनाने वाले लड़के…’ सुनाया तो लंबे समय तक तालियां बजती रही। नौजवानों की मांग पर ‘कोई बलिया कोई देवरिया कोई आजमगढ़ से चलकर आया है’ व अन्य गीत सुनाए। उधर, अंतर्राष्ट्रीय स्तर से संचालक व मशहूर शायर नदीम फर्रुख ने अपनी गजलों और नज्मों से खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने सुनाया कि ‘… वक्त इंसान को नीलाम भी कर देता है… तो लोगों ने खूब पसंद किया। नदीम फर्रुख ने कहा कि मुलायम सिंह यादव हर वक्त गरीबों की हिमायत में खड़े थे, ओहदा तो बड़ा था ही वो दिल के भी बड़े थे। नेता जी हमें रास्ता दिखला के गए हैं..’ के जरिए मुलायम सिंह यादव को करीने से याद किया। डा. सरिता शर्मा ने अपनी पहले ही मुक्तक ‘भटके हुए लोगों को समझाना जरूरी है, नफरत की दीवारों का गिर जाना जरूरी है…’ से लोगों के दिलों में उतर गईं। शायर अज्म शाकिरी ने अपने तरन्नुम से जो समां बांधा, उसमें पूरा सभागार डूबा रहा। उन्होंने सुनाया कि ‘रात भर ओस में भींग कर चांद को ऐसी सर्दी लगी…’ तो खूब वाहवाही हुई।

इससे पहले अम्बिका चौधरी ने मुख्य अतिथि, कवियों, शायरों व अन्य अतिथियों के अतिरिक्त सभागार में मौजूद अध्यापक, अधिवक्ता, कर्मचारी व अन्य लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि नेता जी मुलायम सिंह यादव करोड़ों लोगों के जीवन में उजाला लाने वाले नेता थे। उन्होंने हर गरीब, किसान, नौजवान और मजलूम की समस्याओं के लिए संघर्ष भी किया और सरकार मे आने पर उनके हित में फैसले भी लिए। इस अवसर पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी, विधायक मो. रिजवी, विधायक जयप्रकाश अंचल व जिला पंचायत अध्यक्ष आनंद चौधरी आदि थे।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com