Saturday , April 27 2024

उत्तराखण्ड

इस गांव में है भोलेनाथ की विशाल गुफा, दुनिया के सामने लाएगी आइटीबीबी

आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) उच्च हिमालयी क्षेत्र में धारचूला के सीपू गांव स्थित विशालकाय गुफा को देश-दुनिया के सामने लाएगी। इसके लिए डीआइजी एपीएस निंबाडिया के निर्देश पर आइटीबी का एक दल गुफा तक पहुंच गया है। समुद्रतल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर सीपू गांव से करीब 12 किमी दूर स्थित इस गुफा के बारे अब तक सिर्फ स्थानीय लोगों को ही जानकारी है। मान्यता है कि भगवान शिव ने इस गुफा में विश्राम किया था। शिव जिस पत्थर पर बैठे, उस पर आज भी बैठने के निशान हैं। ग्रामीण इस क्षेत्र में मौजूद एक मात्र भोजपत्र के वृक्ष को शिव की लाठी का रूप मानते हैं। गुफा तक पहुंचने के लिए खड़ी चट्टान को पार करना होता है। गांव में बड़ी पूजा होने पर ग्रामीण गुफा तक जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं। गुफा के नजदीक ही मिलती माई का तालाब है। गर्मियों में भी पानी से लबालब भरे रहने वाले इस तालाब को सबसे पहले एक तिब्बती व्यापारी ने देखा। कहते हैं कि घोड़े पर सवार यह तिब्बती व्यापारी इस गुफा की गहराई नापने के लिए तालाब में उतरा तो फिर वापस नहीं लौटा। व्यापारी की टोपी सीपू गांव में फूटने वाले इस तालाब के स्रोत से निकली। इस तालाब की भी वर्ष में एक बार विशेष पूजा होती है। चीन सीमा पर आइटीबीपी के 14 हथियार खाई में गिरे, नहीं लगा सुराग यह भी पढ़ें पिछले दिनों क्षेत्र भ्रमण के दौरान सीपू के ग्रामीणों से इन महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी आइटीबीपी के डीआइजी एपीएस निंबाडिया को दी। इस पर उन्होंने आइटीबीपी की एक टीम यहां भेजी। यहां पहुंचे जवानों ने गुफा के बाहर की फोटो ली। जवानों के मुताबिक गुफा के भीतर कई शिवलिंग और बाहर आकर्षक चट्टानें हैं। जवान गुफा में करीब दो किमी भीतर तक गए। अनुमान है कि इसकी लंबाई चार से पांच किमी हो सकती है। डीआइजी निंबाडिया का कहना है कि अब इस स्थल को प्रकाश में लाने की कोशिश की जाएगी।

आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) उच्च हिमालयी क्षेत्र में धारचूला के सीपू गांव स्थित विशालकाय गुफा को देश-दुनिया के सामने लाएगी। इसके लिए डीआइजी एपीएस निंबाडिया के निर्देश पर आइटीबी का एक दल गुफा तक पहुंच गया है। समुद्रतल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर सीपू गांव से करीब 12 …

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बाबा महावतार से लोकसभा चुनाव में जीत का आशीर्वाद लेने पहुंची उमा भारती

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने संकेत दिया है कि वे मिशन-2019 के लिए एक बार फिर क्रिया योग के जरिए महावतार बाबा से विजयी होने का आशीर्वाद लेने आई हैं। वहीं, इस दौरान उन्होंने हिमालयी राज्य में बढ़ते जल संकट पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने रोडमैप तैयार कर लिया है। विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं। मुख्यमंत्री को विशेष निर्देश दिए हैं, जिससे राज्य में जल संरक्षण से संबंधित कार्यों का क्रियान्वयन किया जा सके। केंद्रीय मंत्री उमा भारती हरिद्वार, रामनगर, रानीखेत होते हुए गुरुवार देर रात द्वाराहाट के दुधोली स्थित विश्राम गृह पहुंची। उमा रात को करीब 11 बजे ही आदिशक्ति दूनागिरि के दर्शन को पहुंच गर्इं। उन्होंने मंदिर के गर्भ गृह में एकांत में ध्यान लगाया। उसके बाद कुकुछिना (कौरवछीना) में गिरीश जोशी के आवास पर भोजन ग्रहण करने के बाद वापस दुधोली अतिथ गृह में रात्रि विश्राम किया। इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री ने संक्षिप्त बातचीत में कहा कि राम मंदिर का मसला भारत वर्ष से जुड़ा है। फिलहाल, न्यायालय में भी यह मामला चल रहा है। हम चाहते हैं कि इसके निर्माण से पूर्व सभी राजनीतिक दलों को साथ लाया जाए। सबकी सहमति लेने के बाद ही इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। बिनसर महादेव के दर पहुंचे पूर्व सीएम रावत, चिमटा बजाकर लोगों संग गाए भजन यह भी पढ़ें वहीं, उमा भारती ने शुक्रवार को फिर से दूनागिरि मंदिर पहुंचकर दर्शन किए। उसके बाद पांडवखोली गुफा में ध्यान लगाने के लिए रवाना हो गईं। सूत्रों के अनुसार उमा पांडवखोली की चोटी पर स्थापित मंदिर भी जाएंगी। इस अलौकिक सौंदर्य आध्यात्मिक ऊर्जा वाले क्षेत्र में उनका प्रवास कितना होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। गौरतलब है कि पिछले साल यहां आई उमा ने तीन दिन ध्यान लगाया। उमा भारती का ये प्रवास व्यक्तिगत है। इस दौरान वह किसी से मिल नहीं रही। मीडिया से भी दूरी रखी गई है। अलबत्ता केंद्रीय मंत्री की सुरक्षा व्यवस्था के लिए तहसील व पुलिस प्रशासन मौजूद है। पांडव खोली में ध्यान व सुकून के लिए पहुंची उमा भारती यह भी पढ़ें गौरतलब है कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत का आशीर्वाद लेने आध्यात्मिक केंद्र पांडवखोली (द्वाराहाट) में ध्यान लगाने के पहुंची थी। उन्होंने महाअवतार बाबा का आशीर्वाद भी लिया था।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने संकेत दिया है कि वे  मिशन-2019 के लिए एक बार फिर क्रिया योग के जरिए महावतार बाबा से विजयी होने का आशीर्वाद लेने आई हैं। वहीं, इस दौरान उन्होंने हिमालयी राज्य में बढ़ते जल संकट पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जल …

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उत्तराखंड में बनेंगी फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट, पटरी पर आएंगी स्वास्थ्य सेवाएं

सरकार अब स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत बनाने के लिए प्रदेश में 16 फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) खोलने जा रही है। हर जिला अस्पताल को रेफरल यूनिट बनाया जाएगा। इसके अलावा तीन मुख्य तहसीलों में भी रेफरल यूनिट खोलने की तैयारी है। इन यूनिटों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। मंशा यह है कि मरीजों को अपने जिले में ही हर संभव इलाज मिल सके। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना हर सरकार के लिए चुनौती रहा है। आज भी पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण चिकित्सकों की कमी होना है। मौजूदा सरकार ने इस समय प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। हाल ही में सरकार ने 500 से अधिक नए चिकित्सकों की भर्ती की है। अब इन चिकित्सकों के बेहतर उपयोग के लिए प्रदेश में 16 नए एफआरयू खोलने की तैयारी चल रही है। दरअसल, प्रदेश के अधिकांश जिलों में उचित स्वास्थ्य सेवाओं के न होने के चलते परिजन मरीजों को प्रमुख जिलों में लेकर आते थे। कई बार ऐसा भी हुआ कि चिकित्सा सुविधा के अभाव में मरीज रास्ते में दम तोड़ गए। गढ़वाल मंडल में देहरादून और कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी के जिला अस्पतालों में अन्य जिलों से आने वाले मरीजों की भरमार लगी रहती है। इसे देखते हुए अब सरकार ने हर जिला अस्तपाल को एफआरयू बनाने का निर्णय लिया है। इनके अलावा ऋषिकेश, कोटद्वार और रुद्रपुर में भी एफआरयू खोले जाएंगे। इसका मकसद यह है कि मरीजों को हर संभव इलाज अपने ही जिले में मिल सके। इसके लिए इन सभी एफआरयू में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा इन चिकित्सालयों को आधुनिक उपकरणों से भी लैस किया जाएगा। पहले चरण में तकरीबन 72 चिकित्सकों को इन एफआरयू में तैनात किया जाएगा। इन दिनों शासन में इन चिकित्सकों के नाम तय किया जा रहे हैं। इन चिकित्सकों की तैनाती के बाद एफआरयू विधिवत तरीके से संचालित होने लगेंगे। जल्द ही इस संबंध में शासनादेश जारी होने की संभावना है।सरकार अब स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत बनाने के लिए प्रदेश में 16 फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) खोलने जा रही है। हर जिला अस्पताल को रेफरल यूनिट बनाया जाएगा। इसके अलावा तीन मुख्य तहसीलों में भी रेफरल यूनिट खोलने की तैयारी है। इन यूनिटों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। मंशा यह है कि मरीजों को अपने जिले में ही हर संभव इलाज मिल सके। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करना हर सरकार के लिए चुनौती रहा है। आज भी पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण चिकित्सकों की कमी होना है। मौजूदा सरकार ने इस समय प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। हाल ही में सरकार ने 500 से अधिक नए चिकित्सकों की भर्ती की है। अब इन चिकित्सकों के बेहतर उपयोग के लिए प्रदेश में 16 नए एफआरयू खोलने की तैयारी चल रही है। दरअसल, प्रदेश के अधिकांश जिलों में उचित स्वास्थ्य सेवाओं के न होने के चलते परिजन मरीजों को प्रमुख जिलों में लेकर आते थे। कई बार ऐसा भी हुआ कि चिकित्सा सुविधा के अभाव में मरीज रास्ते में दम तोड़ गए। गढ़वाल मंडल में देहरादून और कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी के जिला अस्पतालों में अन्य जिलों से आने वाले मरीजों की भरमार लगी रहती है। इसे देखते हुए अब सरकार ने हर जिला अस्तपाल को एफआरयू बनाने का निर्णय लिया है। इनके अलावा ऋषिकेश, कोटद्वार और रुद्रपुर में भी एफआरयू खोले जाएंगे। इसका मकसद यह है कि मरीजों को हर संभव इलाज अपने ही जिले में मिल सके। इसके लिए इन सभी एफआरयू में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा इन चिकित्सालयों को आधुनिक उपकरणों से भी लैस किया जाएगा। पहले चरण में तकरीबन 72 चिकित्सकों को इन एफआरयू में तैनात किया जाएगा। इन दिनों शासन में इन चिकित्सकों के नाम तय किया जा रहे हैं। इन चिकित्सकों की तैनाती के बाद एफआरयू विधिवत तरीके से संचालित होने लगेंगे। जल्द ही इस संबंध में शासनादेश जारी होने की संभावना है।

सरकार अब स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत बनाने के लिए प्रदेश में 16 फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) खोलने जा रही है। हर जिला अस्पताल को रेफरल यूनिट बनाया जाएगा। इसके अलावा तीन मुख्य तहसीलों में भी रेफरल यूनिट खोलने की तैयारी है। इन यूनिटों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। …

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ट्रैफिक नियमों के प्रति लापरवाही पड़ रही है भारी

नैनीताल हाई कोर्ट ने भले ही कठोर रुख अख्तियार करते हुए गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करने को गंभीरता से लेते हुए लाइसेंस रद करने का आदेश दिया है। लेकिन, हकीकत यह है कि यातायात नियमों का पालन कराना आसान नहीं है। आंकड़े इस हकीकत की पुष्टि भी करते हैं। दरअसल, पिछले वर्ष जहां यातायात नियमों की अनदेखी के चलते 1.19 लाख चालान हुए, वहीं इस साल बीते पांच माह में 26767 चालान हो चुके हैं। सफर को सुरक्षित और सुखद बनाने के उद्देश्य से बनाए गए यातायात नियमों के प्रति लापरवाही अक्सर मौत का कारण बन जाती है। बावजूद इसके नियमों के अनुपालन के प्रति संवेदनशीलता नहीं बढ़ रही है। दून शहर की बात करें तो यहां हालात सूबे के किसी भी अन्य शहर से अधिक चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। यहां सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद यातायात नियम की धज्जियां उड़ रही हैं। पिछले पांच महीनों के दौरान हुई कार्रवाई पर नजर डालें तो पता चलता है कि मोबाइल पर बात करते समय गाड़ी चलाने वाले सवा पांच हजार से अधिक लोगों के चालान हो चुके हैं। वहीं हेलमेट की बात करें तो अकेले चलने वाले मोटरसाइकिल सवार को भी हेलमेट बोझ लगता है। अधिकांश तो हेलमेट सिर पर तब रखते हैं, जब सामने उन्हें कोई पुलिसवाला दिख जाता है।

नैनीताल हाई कोर्ट ने भले ही कठोर रुख अख्तियार करते हुए गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करने को गंभीरता से लेते हुए लाइसेंस रद करने का आदेश दिया है। लेकिन, हकीकत यह है कि यातायात नियमों का पालन कराना आसान नहीं है। आंकड़े इस हकीकत की पुष्टि भी करते …

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अमित शाह ने शांतिकुंज प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या से आम चुनाव में मांगा समर्थन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के प्रति खास लगाव। ऐसे में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने को भाजपा नेतृत्व अलर्ट है। इसमें किसी भी स्तर पर ढील न हो, लिहाजा प्रदेश में सरकार से लेकर पार्टी संगठन के पेच कसने को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह खुद रविवार को अंतरिम राजधानी देहरादून में पहुंचे। जौलीग्रांट एयरपोर्ट में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट सहित पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट के अंदर स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में उन्‍होंने मुख्यमंत्री व पार्टी पदाधिकारियों के साथ चाय के साथ वार्ता की। इसके बाद वह हरिद्वार के भूपतवाला में बनाए गए अस्थाई हेलीपैड पर पहुंचे, जहां से उनका काफिला शांतिकुंज के लिए रवाना हो गया। शांतिकुंज पहुंच कर उन्‍होंने पंडित आचार्य श्रीराम शर्मा और माता भगवती देवी शर्मा की संयुक्त समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद अबोवे बैटरी चालित रिक्शा से वह गायत्री मंदिर की ओर प्रस्थान किया। शाह की क्लास के लिए प्रदेश भाजपा का होमवर्क यह भी पढ़ें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अमित शाह रविवार को दून में कुल साढ़े चार घंटे के अपने कार्यक्रम के दौरान चार बैठकें लेंगे। रविवार सुबह साढ़े दस बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे। दोपहर दो बजे सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में सोशल मीडिया वालंटियर सम्मेलन को संबोधित कर पार्टी कार्यकर्ताओं को बदली परिस्थितियों में सोशल मीडिया में सक्रिय होने के गुर सिखाएंगे। इसके बाद शाह फिर बीजापुर अतिथिगृह जाएंगे। वहां वह अनुसूचित जाति के प्रमुखजनों के साथ संवाद करेंगे। इसके बाद वह शाम साढ़े पांच बजे वह लोकसभा चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक लेंगे। उत्तराखंड सरकार के कामकाज की समीक्षा करेंगे अमित शाह यह भी पढ़ें शांतिकुंज प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या से आम चुनाव में मांगा समर्थन शांतिकुंज प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या ने बताया भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उनसे वर्ष 2019 फरवरी-मार्च में होने वाले आम चुनाव में समर्थन मांगा और गायत्री परिवार के पूरे देश में पहले साधकों की संख्या जाने नहीं चाहिए। डॉक्टर प्रणव पंड्या ने बताया कि इस वक्त देश में सीधे तौर पर करीब 15 करोड़ साधक गायत्री परिवार से जुड़े हुए हैं, जबकि अब अप्रत्यक्ष तौर पर इनकी संख्या करीब 25 करोड़ है। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया। साथ ही अपने साधकों को सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों का आकलन करते हुए स्वयं विवेक से वोट देने की अपील की बताया की। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें केंद्र सरकार की नीतियों और उपलब्धियों का विस्तार से जानकारी दें और उसे संबंधित पुस्तक भी भेंट की। अमित शाह दून पहुंचकर भाजपा नेताओं की लेंगे क्लास, युवा मोर्चा करेगा स्वागत यह भी पढ़ें ब्रेकिंग अपडेट हरिद्वार अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉक्टर प्रणव पंड्या ने मोदी सरकार के कामकाज पर संतुष्टि जाहिर की और कहा कि उन्हें अभी काम करने का और मौका मिलना चाहिए। कहा कि पांच साल का समय उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए कम है। कहा उन्हें और मौका दिया जाना चाहिए। गंगा की स्वच्छता को लेकर नमामि गंगे अभियान की सफलता पर असंतुष्टि जताई कहा यह केवल 25 फीसद ही सफल रहा, जबकि शांतिकुंज का अभियान 80 से 90 फीसद तक सफल है। उन्होंने गंगा की स्वच्छता के लिए पूरी निष्ठा और इमानदारी से काम करने की आ सकता का आह्वान किया। डॉ प्रणव पंड्या ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उनसे केंद्र सरकार के कामकाज और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। उन्हें सरकार के कार्यों और उपलब्धियों के बारे में बताया तथा इस विषय में पुस्तक भेंट की। उन्होंने सरकार के लिए समर्थन मांगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के प्रति खास लगाव। ऐसे में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने को भाजपा नेतृत्व अलर्ट है। इसमें किसी भी स्तर पर ढील न हो, लिहाजा प्रदेश में सरकार से लेकर पार्टी संगठन के पेच कसने को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह …

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कॉर्बेट पार्क ही नहीं, अब उत्तराखंड के हर फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में रुकना होगा महंगा

उत्तराखंड में वन विश्राम भवनों (फॉरेस्ट रेस्ट हाउस) में ठहरना अब महंगा होगा। इसकी दरों में दो से ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में की गई ऐसी पहल के बाद प्रदेश के सभी वन विश्राम भवनों के मामले में भी सरकार ने ऐसा करने की ठानी है। वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को इसका प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट रेस्ट हाउसों का ठीक से रखरखाव नहीं हो पा रहा, ऐसे में नई दरों का निर्धारण करना जरूरी है। राज्यभर में वन विश्राम भवनों की संख्या 350 के लगभग है और इनमें एक रात्रि ठहरने का शुल्क भारतीयों के लिए 250 से 5000 रुपये और विदेशियों के लिए पांच सौ से 12 हजार रुपये तक है। पिछले कई सालों से इनकी दरों में इजाफा नहीं हुआ है, जबकि दरों में वृद्धि की बात लंबे अर्से से चल रही है। इस बीच बीती सात मई को हुई टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर कार्बेट टाइगर रिजर्व की शासी निकाय की बैठक में इस रिजर्व के अंतर्गत आने वाले वन विश्राम भवनों के लिए दरों में दो से ढाई गुना वृद्धि का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस बारे में शासनादेश होना बाकी है। माना जा रहा कि कार्बेट में इस साल 15 नवंबर को पार्क खुलने के बाद वहां नई दरें लागू हो जाएंगी। उत्तराखंड में पौधरोपण पर करोड़ों खर्च, नतीजा फिर भी सिफर यह भी पढ़ें अब इसी तर्ज पर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में वन विश्राम भवनों के शुल्क की दरों में बढ़ोतरी का निश्चय किया गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने कहा कि विभाग के तमाम रेस्ट हाउस ऐतिहासिक हैं। इनमें कई आजादी से पहले के बने हैं। ठहरने को शुल्क की दरें कम होने के कारण इनका रखरखाव ठीक से नहीं हो पा रहा है। ऐसे में शुल्क की दरों में बढ़ोतरी समय की मांग है। डॉ. रावत ने कहा कि शुल्क की नई दरों के संबंध में पीसीसीएफ जय राज को प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है। इसमें इस बात का ख्याल रखने को कहा गया है कि स्कूली बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को कुछ छूट भी दी जाए। उन्होंने कहा कि शुल्क की दरें बढ़ने से होने वाली आय वन विश्राम भवनों के रखरखाव पर खर्च करने के साथ ही वहां अन्य सुविधाएं जुटाने पर खर्च की जाएगी।

उत्तराखंड में वन विश्राम भवनों (फॉरेस्ट रेस्ट हाउस) में ठहरना अब महंगा होगा। इसकी दरों में दो से ढाई गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। कार्बेट टाइगर रिजर्व में की गई ऐसी पहल के बाद प्रदेश के सभी वन विश्राम भवनों के मामले में भी सरकार ने ऐसा करने की …

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उत्तराखंड के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब इस तरह होंगे रोशन, जानिए

प्रदेश के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इतना ही नहीं भारी-भरकम बिलों का भुगतान नहीं होने से विद्यालयों में अंधेरा भी नहीं पसरेगा। विद्यालयों से व्यावसायिक दरों के बजाय घरेलू दरों पर बिजली के बिल लिए जाएंगे। इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। राज्य में अभी भी तकरीबन तीन हजार स्कूलों में बिजली नहीं है। इसके अलावा विद्यालयों से वर्तमान में व्यावसायिक दर से बिजली बिल की वसूली की जा रही है। बिलों के भुगतान की राशि न होने के कारण बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालय भी हैं, जिनके कनेक्शन कटे हुए हैं। ऐसे में विद्यालयों का अंधेरा दूर करने के लिए शिक्षा महकमा अब नई योजना पर काम कर रहा है। गुरुवार को ननूरखेड़ा स्थित राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) में आयोजित समीक्षा बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने इसे लेकर सभी जनपदों से रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने बताया कि समस्त तोक प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना से आच्छादित किए जा रहे हैं। इसके बावजूद जो स्कूल छूट जाएंगे वहां सौर ऊर्जा से विद्युत व्यवस्था की जाएगी। जानिए लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने क्या कहा छात्र-छात्राओं से यह भी पढ़ें उरेडा ने प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय भवनों और शिक्षा विभाग के कार्यालयों की छत पर एक केवी से दस केवी तक सोलर पैनल लगाने का प्रस्ताव भी महकमे को दिया है। जहां बिल बकाया होने के कारण कनेक्शन कटा हुआ है, उसका भी ब्योरा जुटाया जा रहा है। यहां जल्द विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी। विद्युत टैरिफ पर निर्णय लेने का अधिकार क्योंकि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को है। महकमे की ओर से प्रस्ताव तैयार कर आयोग को भेजा जाएगा ताकि स्कूलों को घरेलू रेट पर बिजली मिल सके।

प्रदेश के बिजली विहीन सरकारी स्कूल अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इतना ही नहीं भारी-भरकम बिलों का भुगतान नहीं होने से विद्यालयों में अंधेरा भी नहीं पसरेगा। विद्यालयों से व्यावसायिक दरों के बजाय घरेलू दरों पर बिजली के बिल लिए जाएंगे। इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।  …

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प्रशांत महासागर की ऊंची लहरों से नहीं डरी वर्तिका, तारिणी पर था पूरा भरोसा

हौसले हैं बुलंद हर मुश्किल को आसां बना देंगे, छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को हिला देंगे। वो और हैं जो बैठ जाते हैं थक कर मंजिल से पहले, हम बुलंद हौसलों के दम पर आसमां को झुका देंगे। भारतीय नौसेना के सबसे चुनौतीपूर्ण अभियान 'नाविका सागर परिक्रमा' को सफलता पूर्वक अंजाम देने वाली नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने कुछ इसी अंदाज में अपने विजय अभियान को बयां किया। उन्होंने बताया कि नाविका सागर परिक्रमा एक चुनौतीपूर्ण अभियान था, चूंकि आज तक किसी ने भी इस तरह का अभियान पाल नौका के जरिये पूरा नहीं किया था और वह भी सिर्फ महिलाओं के क्रू ने। वर्तिका जोशी ने बताया कि 254 दिन तक चले इस अभियान में कई विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। कई बार तो समुद्र की लहरों ने ऐसी चुनौती दी कि मन भीतर तक कांप गया। मगर, अभियान दल के पक्के इरादे और दृढ़ निश्चय ने सभी चुनौतियों को आसान बना दिया। उन्होंने बताया कि 10 दिसबंर को उन्होंने गोवा से इस अभियान की शुरुआत की थी। मगर, सबसे अधिक चुनौती प्रशांत महासागर ने दी। जब वह धरती से करीब पांच हजार किलोमीटर दूर केथोन में थे तभी एक समुद्री तूफान आ गया। केथोन को समुद्र का माउंट एवरेस्ट कहा जाता है। इस तूफान को वह पांच दिनों से समझने की कोशिश कर रहे थे। मगर आखिर एक रात को समुद्र में भयंकर तूफान आ गया। समुद्र की लहरें नौ से दस मीटर तक ऊंची उठने लगी। ऐसा लगा मानो कोई लहर इस छोटी सी नौका को अपने आगोश में ले लेगी। मगर, हमने हार नहीं मानी और समुद्र की लहरों से जूझते रहे और आखिर हम उस तूफान से निकलने में कामयाब रहे। जानिए लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने क्या कहा छात्र-छात्राओं से यह भी पढ़ें उन्होंने बताया कि उस समय उनकी टीम ने लगातार 20 से 25 घंटे तक बिना सोये इस तूफान का मुकाबला किया। उन्होंने बताया कि समुद्र हमेशा डरावना ही नहीं होता, हमारे समुद्र में कई अच्छे अनुभव भी रहे। अभियान के आखिरी चरण में तो एक समय ऐसा भी आया जब हमें समुद्र में हवा भी नहीं मिली, चूंकि यह नौका हवा से ही चलती है, इसलिए हमें कई दिन तक एक ही जगह पर रुकना भी पड़ा। मां के शब्द आते रहे याद अब स्कूलों में सुरक्षित रहेंगे बच्चे, गुड टच-बेड टच पर होगा 'तीसरी' आंख का पहरा यह भी पढ़ें लेफ्टिनेंट वर्तिका जोशी ने बताया कि जब वह अभियान पर जाने वाली थी तो ठीक पांच दिन पहले वह मां और पिता से मिलने ऋषिकेश आई थी। मगर, पता चला कि मां जॉलीग्रांट हास्पिटल में भर्ती है और वह गंभीर रूप से बीमार है। वह जब मिलने गई तो मां ने कहा कि वर्तिका तुम पीछे मुड़कर मत देखना और लक्ष्य पूरा करके ही लौटना। वर्तिका ने बताया कि 254 दिन के इस सफर में उन्हें कई बार मां की याद आई मगर, आखिर मां के वही शब्द जेहन में आ जाते और फिर सबकुछ सामान्य हो जाता। तारिणी पर था पूरा भरोसा वर्तिका जोशी ने बताया कि इस अभियान को लेकर उन्हें स्वयं तथा टीम के अलावा तारिणी नौका पर भी पूरा भरोसा था। यही वजह रही कि कई बार जटिल खराबी आने के बाद भी तारिणी ने उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी में नहीं डाला। वर्तिका ने बताया कि तारिणी को फरवरी 2017 में नौसेना में कमीशन किया गया था। जब तारिणी पर पहली लकड़ी लगाई तब से वह तारिणी को करीब से देख रही थी। इस बोट से मेरा करीबी रिश्ता बन गया था, इसलिए तारिणी की कार्यकुशलता पर उन्हें पूरा भरोसा था। वर्तिका ने बताया कि किस तरह तारिणी में सवार वह छह महिला अधिकारी ही सब कुछ थी। उन्हें स्वयं खाना बनाना होता था, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, सफाई कर्मी सहित सभी भूमिकाएं स्वयं निभानी होती थी।

हौसले हैं बुलंद हर मुश्किल को आसां बना देंगे, छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को हिला देंगे। वो और हैं जो बैठ जाते हैं थक कर मंजिल से पहले, हम बुलंद हौसलों के दम पर आसमां को झुका देंगे। भारतीय नौसेना के सबसे चुनौतीपूर्ण अभियान ‘नाविका सागर परिक्रमा’ …

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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम की रिहर्सल की

देहरादून, [जेएनएन]: मंगलवार को एफआरआई में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम की रिहर्सल की गई। योग दिवस पर प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार ही सुबह 7 बजे से 7:45 बजे तक योग साधकों द्वारा सामान्य योग प्रोटोकॉल का अभ्यास किया गया। 45 मिनट तक चले योगाभ्यास में सैंकड़ों साधकों ने ग्रीवाचालन, स्कन्ध संचालन, कटि चालन, घुटना संचालन, ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्धचक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, वज्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतुबंधासन, उत्तानपाद आसन, अर्धहलासन, पवनमुक्तासन, शवासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, शीतली प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास किया। रिहर्सल में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सभी तैयारियों को परखा गया। इस अवसर पर आयुक्त गढ़वाल दिलीप जावलकर, जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन व पुलिस प्रशासन के अन्य आला अधिकारी उपस्थित थे।

देहरादून, [जेएनएन]: मंगलवार को एफआरआई में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम की रिहर्सल की गई। योग दिवस पर प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार ही सुबह 7 बजे से 7:45 बजे तक योग साधकों द्वारा सामान्य योग प्रोटोकॉल का अभ्यास किया गया। 45 मिनट तक चले योगाभ्यास में सैंकड़ों …

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जो अफसर आराम के लिए नैनीताल आएं हैैं वेे वापस जाएं: डॉ. इंदिरा हृदयेश

नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने प्रशासन की लापरवाही से नैनीताल में पर्यटन प्रभावित होने का आरोप लगाया। कहा कि अधिकारियों ने नैनीताल को अपनी आरामगाह बना दिया है। जो अफसर आराम के लिए नैनीताल आएं हैं वह काम नहीं कर सकते तो तत्काल नैनीताल छोड़ दें। साथ ही हल्द्वानी में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थित पर आंदोलन की चेतावनी दी। रविवार को एक होटल में आयोजित प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि नैनीताल जिले में भारी पुलिस फोर्स है, लेकिन फिर भी आपराधिक घटनाओं का खुलासा नहीं किया जा रहा। अब कांग्रेस पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली के खिलाफ जनता को साथ लेकर सड़क पर उतरेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सितारगंज चीनी मिल को बंद कर दिया है। सर्वाधिक लाभ में चलने वाली बाजपुर चीनी मिल भी बंदी के कगार पर है। वित्तीय प्रबंधन में सरकार पूरी तरह विफल है।

नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने प्रशासन की लापरवाही से नैनीताल में पर्यटन प्रभावित होने का आरोप लगाया। कहा कि अधिकारियों ने नैनीताल को अपनी आरामगाह बना दिया है। जो अफसर आराम के लिए नैनीताल आएं हैं वह काम नहीं कर सकते तो तत्काल नैनीताल छोड़ दें। साथ ही हल्द्वानी …

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