लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक टोटका है कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, उसे दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी नसीब नहीं होती।
इस टोटके से डर के बहुत से मुख्यमंत्रियों ने तो नोएडा से दूरी बनायी रखी। पर जिसने टोटके को नहीं माना वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाया।
इस टोटके से डर कर प्रदेश के युवा, हाईटेक और समाजवादी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को अपने आवास से ही नोएडा की तमाम परियोजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास और उद्घाटन कर दिया।
दरअसल, यह टोटका स्व. वीर बहादुर सिहं के नोएडा जाने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद प्रचारित हुआ। हालांकि स्व. सिंह को केंद्र में मंत्री बनाया गया था।
इसके बाद यही गलती पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने की और उनका भी वह कार्यकाल आखिरी हो गया। इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव बने। उन्होंने नोएडा से दूरी बनायी रखी और तीन बार मुख्यमंत्री बने।
कल्याण सिंह पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री बने और उन्होंने भी इस टोटके का ध्यान रखा, लेकिन 1996 में जब वह दोबारा बने तो टोटका भूल गए और नोएडा चले गए।
इसके बाद वही हुआ जिसकी आशंका थी, उन्हें अचानक हटना पड़ा। वहीं मायावती चार बार मुख्यमंत्री बनीं लेकिन एक बार भी वह नोएडा नहीं गईं, जबकि वह उसी जिले की रहने वाली हैं। इसीतरह राजनाथ सिंह भी मुख्यमंत्री रहते नोएडा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
दिलचस्प है कि नोएडा टोटके के चलते वहां नहीं गए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी मान लिया कि वहां जाना अच्छा नहीं रहता। तभी उन्होंने कहा कि यह खबर बनेगी कि मुख्यमंत्री नोएडा जाने से डर गए। लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि अगली बार मुख्यमंत्री बना तो नाएडा जरूर जाऊंगा।