“मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में 2.70 करोड़ रुपये की लागत वाली जल शोधन परियोजना का शुभारंभ किया। फाइटोरेमिडीएशन तकनीकी से राप्ती नदी की शुद्धि और करोड़ों रुपये की बचत होगी।”
गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर में नगर निगम द्वारा शुरू की गई फाइटोरेमिडीएशन तकनीकी से जल शोधन परियोजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना की लागत 2.70 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य राप्ती नदी में गिरने वाले नालों के प्रदूषित जल को प्राकृतिक विधि से शुद्ध करना है।
प्राकृतिक जल शोधन का महत्व
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीकी का उपयोग न केवल नदी को प्रदूषण मुक्त करेगा, बल्कि बिजली और मेंटेनेंस पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये की भी बचत करेगा। यह सतत विकास का एक उत्कृष्ट मॉडल है जिसे अन्य स्थानों पर भी लागू किया जा सकता है।
बीओडी लेवल में बड़ी गिरावट
उन्होंने बताया कि पहले राप्ती नदी में गिरने वाले नाले के जल का बीओडी लेवल 350 था, जो खतरनाक स्तर से भी ऊपर था। फाइटोरेमिडीएशन तकनीकी के उपयोग के बाद यह स्तर 22 पर आ गया है, जो शुद्ध जल के मानकों के करीब है।
परियोजना की विशेषताएं
नगर निगम द्वारा इस परियोजना में मुख्य नाले और उसकी शाखाओं पर प्री-फिल्टर और प्राकृतिक स्टोन से गैबियन वाल बनाए गए हैं। साथ ही, जल को शुद्ध करने के लिए एक्वेटिक प्लांट्स लगाए गए हैं। यह परियोजना प्रतिदिन 15 मेगालिटर जल को शुद्ध करने की क्षमता रखती है।
नदी संस्कृति बचाने पर जोर
सीएम योगी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू की गई नामामि गंगे परियोजना ने नदियों की संस्कृति को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गोरखपुर में राप्ती और रोहिन नदियों की शुद्धता सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।”
कम लागत में बड़ा प्रभाव
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस परियोजना में केवल एक बार का खर्च हुआ है और आगे बिजली और मेंटेनेंस पर करोड़ों रुपये की बचत होगी। उन्होंने इसे अन्य नालों के लिए भी अपनाने की सिफारिश की।
नागरिकों से संवाद
तकियाघाट पर निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने स्थानीय नागरिकों से बातचीत की और एक बच्ची को पढ़ाई के बारे में पूछा। मुख्यमंत्री ने बच्चों को आशीर्वाद देते हुए चॉकलेट भी वितरित की।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल