लखनऊ। सभी डॉक्टर्स की सफलता का श्रेय नर्सेस को भी जाता है क्योंकि जब कोई डॉक्टर किसी रोगी को दवा लिखता है या कोई सर्जन जब किसी मरीज का शल्य चिकित्सा करता है तो मरीज इसके बाद नर्सो की शरण में आ जाता है और सभी इलाज नसेंर्स की सेवा पर निर्भर करता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि डॉक्टर की स्ट्रेंथ नर्स है। यह बात केजीएमयू के कुलपति प्रो रविकांत ने कलाम सेंटर में नेशनल स्तर पर आयोजित ट्रांसफॉर्मिंग क्लीनिकल नर्सिंग फ्रॉम टेडिशन बेस कार्यक्रम के दौरान कही।
गेस्ट ऑफ ऑनर राधा सैनी ने कहा कि जो कार्य भारत में एक एमडी डॉक्टर कर रहा है वो ही कार्य अमेरिका में एक नर्स कर रही है। वहां पर अलग-अलग विभागों में नसोंर् को सुपर स्पेशियलिटी का प्रशिक्षण दिया जाता है। न्यूरो की नर्स, अंकोलॉजी की नर्स व अन्य प्रकार की प्रमाणित नसेंर् होती हैं।
यदि यूएसए में किसी मरीज को ब्लड निकालना हो और उसे दो बार सुई से पिक करते हैं तो वो मरीज कहता है कि हम तुम्हें कोर्ट मे देख लेंगे। इस प्रकार हमें अपने रिसर्च और शोधों को साक्ष्य के आधार पर करना चाहिए।
संगोष्ठी में प्रो जेवी सिंह ने कहा कि इंस्टीट्यूट को चलते हुए एक वर्ष हो चुका है। यहां पर हम नर्सोह्म को साक्ष्य के आधार पर ही ट्रेनिंग कराते हैं।
केजीएमयू स्नातक, परास्नातक और टीजी स्टूडेंट को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस संस्थान को केजीएमयू अपने संसाधनों से ही चला रहा है। कुलपति प्रो रविकांत ने साक्ष्य पर अधारित शिक्षा का तात्पर्य समझाते हुए उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत नैदानिक विशेेषज्ञता और बाहरी सबूत को एकीकृत करना है।
मरीजों को लक्षणों के आधार पर उसका क्लीनिकल जांच पैथोलॉजी की जांचे आदि कराने के बाद जो परिणाम आता है उससे हम यह निर्धारित कर सकते हैं कि मरीज को क्या उपचार उपलब्ध कराना है।
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