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बख्शने के मूड में नहीं है सरकार, जमा रूपयों का स्रोत भी बताना होगा

%e0%a4%89%e0%a4%b5नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ही दिन पहले यह कहा है कि नोटबंदी के साथ काले धन के खिलाफ शुरू की गई लड़ाई सिर्फ शुरुआत है। मोदी की इस बात को अमली जामा पहनाने का काम भी शुरू हो गया है।

सबसे पहले तो नोटबंदी के फैसले के बाद उन लोगों पर कार्रवाई की तैयारी है जो अपने बैंक खाते में काली कमाई की भारी-भरकम राशि जमा करा रहे हैं।

अब इन्हें जमा राशि का स्त्रोत भी बताना होगा। साथ ही काली कमाई को सोने में तब्दील कर रहे लोगों पर लगाम लगाने के लिए हर घर में पीली धातु रखने की सीमा तय करने का विकल्प भी है। लेकिन सरकार फिलहाल यह विकल्प आजमाने की किसी भी संभावना से इनकार कर रही है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में काले धन पर लगाम लगाने के अन्य तरीकों पर भी विचार किया गया। सरकार के सामने हर घर के लिए सोना रखने की सीमा तय करने का प्रस्ताव आया है।

वैसे, सरकार अभी इस प्रस्ताव को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है। इसके बड़े सामाजिक व राजनीतिक असर को देखते हुए इसको आजमाने का खतरा फिलहाल सरकार नहीं उठाना चाहती।आयकर सीमा से कम राशि रखने पर भी होगी जांच।

नोटबंदी का फैसला आठ नवंबर को हुआ है। आंकड़े बता रहे हैं कि उसके बाद बैंकों की जमाराशि में काफी बड़ी वृद्धि हुई है। इस बात की आशंका है कि कई लोगों ने अपने खाते में काले धन को भी जमा कराया है।

आयकर विभाग जिसे भी पकड़ेगा, उसे अपने खाते में जमा राशि के स्त्रोत व अन्य जानकारी देनी होगी। अगर वे धन के वैध स्त्रोत के बारे में नहीं बता पाए तो उनके खिलाफ जुर्माना लगाने के दो विकल्प तैयार करने का प्रस्ताव किया गया है।

पहला प्रस्ताव यह है कि जिस राशि का स्त्रोत नहीं बताया गया है, उस पर 50 फीसद तक जुर्माने के साथ चार वर्षो तक खाते से पैसा नहीं निकालने का लॉक-इन पीरियड लागू हो।

दूसरा विकल्प, उन लोगों के लिए है, जो धनराशि के बारे में स्वयं नहीं बताते हैं। इन्हें अघोषित आय पर 90 फीसद तक टैक्स देना पड़ सकता है। इस तरह से 200 फीसद का टैक्स लगाने का मौजूदा प्रस्ताव खत्म किया जा रहा है।

लॉक-इन पीरियड के बारे में सूत्रों ने बताया कि कई प्रस्तावों पर विचार करने के बाद इस पर सहमति बनी है कि कुल जमा राशि के एक चौथाई हिस्से को चार वर्षो तक ब्याज रहित स्कीम के तहत जमा किया जाए।

लेकिन यह उन्हीं लोगों पर लागू होगा, जिन्होंने नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंक खाते में 500 या 1000 के पुराने नोट जमा किए हैं और उसको स्त्रोत नहीं बता पाए हैं।

यह भी स्पष्ट किया कि विभाग की जांच में बैंक खाते में आयकर की सीमा 2।50 लाख रुपये से कम राशि रखने वाले ग्राहकों को भी शामिल किया जाएगा। इस तरह से जन धन खातों में बड़ी मात्रा में जमा की गई राशि का मामला भी इस जांच का हिस्सा बन जाएगा।

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