लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ‘नोटों की माला’ वाली टिप्पणी पर भड़कीं मायावती ने मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि दलित की बेटी नोटों की माला पहने, ये उन्हें हजम नहीं होता।
साथ ही उन्होंने कहा कि नीतिगत आधार पर आरोप लगें तो ठीक है लेकिन व्यक्तिगत आरोप नहीं लगने चाहिए। एक दलित की बेटी को नोटों की माला पहनायी जाए, इनके गले के नीचे नहीं उतरता । दलितों के मामले में प्रधानमंत्री की सोच बदली नहीं है।
उन्होंने सफाई दी कि बसपा के लोग अपनी नेता को काली कमाई के नोट से नहीं बल्कि खून पसीने की कमाई का थोड़ा थोड़ा धन एकत्र कर तब नोटों की माला पहनाकर अपनी नेता का स्वागत करते हैं। ये किसी से छिपा नहीं है।
उन्होंने कहा की मोदी अपने गिरेबान में झांककर देखें की वह कितने दूध के धुले हैं। दूसरों को सलाह देने से पहले वह खुद बताएं कि इसपर वह कितना अमल कर रहे हैं और भ्रष्टाचार के मामले में वह कितने साफ-सुथरे हैं।
मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार नोटबंदी के फैसले के चलते महिलाएं और बच्चे घंटों खुले आसमान के नीचे खड़े रहने को मजबूर हैं। आम जनता ने कांग्रेस को केंद्र से इस उम्मीद से बाहर कर दिया था कि उसे भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी।
मायावती ने साफ किया कि बीएसपी नोटबंदी के खिलाफ नहीं है बल्कि आम लोगों को हो रही परेशानी के खिलाफ है। मायावती ने कहा कि मोदी सरकार अगले 1 माह तक धैर्य रखने की बात कहकर लोगों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। पीएम ने भ्रष्टाचार पर कहा कि बेईमानों से काली कमाई का हिसाब लिया जाएगा, लेकिन हमारी पार्टी का कहना है कि देश की जनता हर प्रकार के भ्रष्टाचार से स्थाई मुक्ति चाहती है।
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