हरिद्वार, 13 अक्टूबर: हरिद्वार की हरकी पैड़ी पर इस समय गंगा की धारा सूखी नजर आ रही है, जिससे श्रद्धालुओं में निराशा व्याप्त है। धार्मिक कर्मकांड और अन्य धार्मिक गतिविधियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हरकी पैड़ी, जो गंगा नदी का पवित्र घाट माना जाता है, पर जल की कमी से भक्तों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
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उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा उत्तरी खंड गंगनहर को बंद करने का निर्णय लिया गया है। भीमगोड़ा बैराज से गंगनहर की धारा को रोक दिया गया है। हर साल दशहरे से दीपावली तक यह प्रक्रिया की जाती है, जिसका उद्देश्य रखरखाव और सफाई करना होता है। गंगनहर हरिद्वार से लेकर मेरठ और गाजियाबाद तक फैली हुई है, और इस समय इसकी धारा का सूखना स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए चिंता का विषय बन गया है।
इस स्थिति के कारण हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है। जो लोग यहां विशेष धार्मिक अनुष्ठान और स्नान करने आए थे, वे जल की अनुपस्थिति से निराश हैं। भक्तों का मानना है कि गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, लेकिन सूखी धारा ने उनके धार्मिक कर्मकांडों को बाधित कर दिया है।
इस घटना का धार्मिक पहलू ही नहीं, बल्कि सामाजिक पहलू भी है। गंगा नदी न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय की सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है। सूखी गंगा ने स्थानीय लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, क्योंकि कई परिवारों की आजीविका गंगा के जल पर निर्भर करती है।
इस मुद्दे पर सिंचाई विभाग ने आश्वासन दिया है कि गंगनहर को जल्द ही फिर से जल प्रवाह के लिए खोला जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि रखरखाव के बाद जल का प्रवाह सामान्य हो जाएगा। हालांकि, स्थानीय लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या यह समस्या भविष्य में दोबारा नहीं होगी।
हरिद्वार की गंगा की धारा का सूखना एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल धार्मिकता, बल्कि सामाजिक जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। स्थानीय प्रशासन को इस मुद्दे का समाधान निकालना होगा ताकि श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान किया जा सके और स्थानीय लोगों की आजीविका को बनाए रखा जा सके। आशा है कि जल्द ही गंगा की धारा पुनः प्रवाहित होगी और हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ लौटेगी।