“राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक जड़ें तानाशाही को चूर-चूर करने वाली हैं। भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना और संविधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अडिग है।”
नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत में लोकतंत्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसने अनेक तानाशाहों के अहंकार को चूर-चूर कर दिया। जो कहते थे कि भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो सकता, आज वही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर आश्चर्य कर रहे हैं। यह हम सभी के लिए गर्व और संकल्प लेने का पल है।”
संविधान पर गर्व:
मित शाह ने संविधान सभा की संरचना को सराहते हुए कहा कि यह दुनिया में अद्वितीय है। उन्होंने बताया कि 299 सदस्यों वाली संविधान सभा ने विभिन्न जाति-धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हुए दुनिया का सबसे विस्तृत और लिखित संविधान तैयार किया। “हमारे संविधान का ड्राफ्ट जनता से सुझाव लेकर तैयार हुआ, जो इसे और अधिक प्रासंगिक बनाता है,” शाह ने जोड़ा।
आर्थिक आत्मनिर्भरता पर जोर:
शाह ने कहा कि आजादी के समय भारत के बिखरने की भविष्यवाणियां की गई थीं। सरदार पटेल के नेतृत्व में देश एकजुट हुआ और आर्थिक आत्मनिर्भरता के प्रति मजबूत कदम उठाए गए। उन्होंने कहा, “75 सालों में हमारे पड़ोस और दुनिया के कई लोकतंत्र असफल हो गए, लेकिन भारत का लोकतंत्र पाताल तक मजबूत है।”
कांग्रेस पर तीखे प्रहार:
शाह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने “गरीबी हटाओ” जैसे नारों के जरिए देश को लंबे समय तक गुमराह किया। “आज वही कांग्रेस EVM को दोष देती है, जब चुनाव हारती है। महाराष्ट्र में हारने पर ईवीएम खराब और झारखंड जीतने पर सही कैसे हो सकता है?” उन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा संविधान में संशोधन और आपातकाल की घटनाओं का भी उल्लेख किया।
संविधान में बदलाव और BJP की भूमिका:
शाह ने कहा कि संविधान को समय के साथ अपडेट करना जरूरी है। “कांग्रेस ने 55 सालों में संविधान में 77 बार संशोधन किया। वहीं, BJP ने पिछले 16 सालों में केवल 22 संशोधन किए हैं।” उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 368 का उल्लेख करते हुए इसे लोकतंत्र की अद्वितीय ताकत बताया।
भारत की सांस्कृतिक विविधता और संविधान:
शाह ने संविधान को भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने संविधान में उकेरे गए चित्रों की सराहना की, जिनमें राम, शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई और नालंदा विश्वविद्यालय के चित्र शामिल हैं। “यह संविधान हमारे समाज के संतुलन और विविधता को दर्शाता है,”
शाह ने कहा कि भारत का लोकतंत्र, संविधान और आर्थिक प्रगति यह सिद्ध करती है कि हमारे वेदों में कही गई बात, “सभी दिशाओं से अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए,” आज भी प्रासंगिक है।
देश-दुनिया से जुड़े राजनीतिक और सामयिक घटनाक्रम की विस्तृत और सटीक जानकारी के लिए जुड़े रहें विश्ववार्ता के साथ। ताज़ा खबरों, चुनावी बयानबाज़ी और विशेष रिपोर्ट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।
विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल