लखनऊ। हरियाणा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया एक नारा, “एक रहोगे, नेक रहोगे। बंटोंगे तो कटोगे” ने पुरे विपक्ष को भाजपा के राजनीतिक पिच पर आकर खेलने को मजबूर कर दिया।
इस नारे से विशेषकर समाजवादी पार्टी में ज्यादा बौखलाहट देखने को मिल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इसका असर मतदाताओं पर अवश्य पड़ रहा है और इससे भाजपा फायदे में रहेगी।
दरअसल राजनीति भी एक राजा कबड्डी की तरह है, जहां पूरी जनता राजा है। हर राजनीतिक दल इसको गोले के बाहर छूकर मात देना चाहता है। मतदाता का दिल
जिसके पक्ष में आ जाय वहीं विजयी हो जाएगा। हर राजनीतिक दल, उसके दिल को छूने के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं। यदि कोई राजनीतिक दल किसी दूसरे की बात को बार-बार काटने की कोशिश करता है तो वह मजबूरन उसके नारे को जनता के दिल दिमाग में ज्यादा बैठ जाता है। यही स्थिति है, उप्र की। यहां “बटोगे तो कटोगे।”
का नारा हर एक के दिमाग में गूंज रहा है। इसका प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। इसको लेकर विपक्ष में बौखलाहट है। विपक्ष बार-बार इसकी काट ढूंढने की कोशिश में भाजपा के ही पिच पर खेलने को मजबूर हो जा रहा है। इससे लोगों को बटने और कटने के नारे को आगे बढ़ने में सहुलियत हो रही है। लोगों के मन इसका प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। कभी अखिलेश इसे नाकारात्मक तो कभी एकजुटता की दुहाई देते हैं, लेकिन इस नारे से बाहर नहीं आ पा रहे हैं।
राजनीति विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि योगी आदित्यनाथ का यह नारा धीरे-धीरे विश्व व्यापी होता जा रहा है। अभी कनाडा में भी खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ एकजुट होने में हिन्दुओं द्वारा एकजुटता के लिए इसका प्रयोग किया गया। इस नारे में बहुत हद तक सत्यता भी दिखती है, जिससे मतदाताओं पर प्रभाव देखने को मिल रहा है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हर्ष वर्धन त्रिपाठी का कहना है कि एक बार लोगों के मन में “जो हिंदू हित की बात करेगा, वह भारत पर राज करेगा।” लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हुआ था। इसका कांग्रेस के नेता मजाक उड़ाते थे। उनके मन में हमेशा यह बात रहती थी कि हिंदू कभी एक नहीं हो सकते।
यही कारण था कि कांग्रेस ने रामसेतू को काल्पनिक बताने में गुरेज नहीं की। उन्हें तो सिर्फ मुसलमानों की चिंता थी और है। लेकिन आज हिंदू जाग रहा है। यही कारण है कि बटोगे तो कटोगे का नारा हर व्यक्ति के मन मष्तिष्क में घुस गया है। निश्चय ही इसका असर उपचुनाव में भी देखने को मिलेगा।
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