प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सुनवाई आज 3:50 बजे होने वाली है। मुस्लिम पक्ष ने मथुरा कोर्ट में दाखिल 15 याचिकाओं की अलग-अलग सुनवाई की मांग की है, जबकि हाई कोर्ट ने 11 जनवरी को सभी मामलों की एक साथ सुनवाई का निर्णय लिया था। इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने रिकॉल अर्जी दाखिल की है, जिसमें उन्होंने स्वतंत्र सुनवाई की मांग की है।
हिंदू पक्ष का दृष्टिकोण
हिंदू पक्ष का दावा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुख्य स्थल, जहां शाही ईदगाह मस्जिद स्थित है, वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण के गर्भगृह का स्थान है। उनका आरोप है कि इस स्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करके शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। हिंदू पक्ष का कहना है कि सभी मामलों की एक साथ सुनवाई न्यायसंगत होगी, जिससे मामले का निपटारा जल्दी हो सके।
मुस्लिम पक्ष का तर्क
मुस्लिम पक्ष ने अपने रिकॉल अर्जी में यह तर्क दिया है कि विभिन्न याचिकाओं पर अलग-अलग सुनवाई की जानी चाहिए ताकि उचित न्यायिक प्रक्रिया का पालन हो सके। उनका कहना है कि एक साथ सुनवाई करने से सभी मामलों की विशिष्टताएं और आवश्यकताएं सही तरीके से नहीं देखी जा सकेंगी।
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यह विवाद कई वर्षों से कानूनी दांव-पेंचों में उलझा हुआ है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह के बीच का यह मुद्दा धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत संवेदनशील माना जाता है। दोनों पक्षों के लिए यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और धार्मिक महत्व भी रखता है।
हाई कोर्ट का आज का फैसला इस विवाद में एक बड़ा मोड़ ला सकता है। यदि मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी स्वीकार कर ली जाती है, तो यह मामले की सुनवाई की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। वहीं, हिंदू पक्ष की दलीलों के अनुसार, यदि एक साथ सुनवाई होती है, तो मामले का निपटारा जल्दी हो सकता है।
इस प्रकार, इलाहाबाद हाई कोर्ट का आज का फैसला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं और सामाजिक स्थिरता पर भी असर डाल सकता है। सभी की निगाहें अब इस फैसले पर टिकी हैं, जो आगे के घटनाक्रम को तय करेगा।