काठमांडो । राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘नेपाल के अपने राजकीय दौरे के दौरान यह घोषणा करते हुए मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि भारत सरकार इस प्राचीन शहर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जनकपुर धाम के ‘परिक्रमा पथ’ पर दो धर्मशालाओं का निर्माण करवाएगी।”
जनकपुर शहर के अपने दौरे को ‘यादगार’ बताते हुए मुखर्जी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक तथा धार्मिक जुडाव के सबसे अहम केंद्र बिंदुओं में से एक है।
हवाईअड्डे से लेकर मंदिर तक प्रणब के स्वागत में बडी संख्या में स्कूली बच्चे कतार में खडे थे। उनमें से कई ने ‘रामायण’ के चरित्रों जैसी वेशभूषा बना रखी थी, कुछ सीता के पिता राजा जनक बने थे।
इस मंदिर का निर्माण जनकपुर के केंद्र में 1910 में टीकमगढ की रानी ने करवाया था। इस शहर के बारे में कहा जाता है कि किसी समय यहां राजा जनक का शासन था।जनकपुर को मधेसियों के प्रदर्शन का केंद्र भी माना जाता है। मधेसी समुदाय संसद में आबादी के आधार पर प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा है।