चारा घोटाले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से मिलने वालों की फेहरिश्त लंबी है। इसमें राजद के नेताओं, सांसदों, विधायकों से लेकर आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में राजद से टिकट पाने की इच्छा रखने वाले शुमार हैं। इसके अलावा राजद प्रमुख के दर्जनों ऐसे समर्थक हैं जो बस उनके ‘दर्शन’ कर हालचाल लेना चाहते हैं। लालू प्रसाद से मुलाकात के लिए मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव ने भी अर्जी लगाई थी लेकिन राजद प्रमुख ने इसे ठुकरा दिया।
बिहार में भाजपा-जदयू के मुकाबले के लिए बन रहे विपक्षी महागठबंधन की रणनीति तैयार करने के लिए वरीय नेता आना चाहते हैं लेकिन जेल के नियमों के मुताबिक कैदी नंबर 3351-लालू प्रसाद मुलाकात के लिए निर्धारित दिन तीन से ज्यादा लोगों से नहीं मिल सकते। विशेष परिस्थिति में उनके रिश्तेदारों को ही इसकी छूट है। जेल प्रशासन ने शनिवार का दिन उनसे मुलाकात करने वालों के लिए निर्धारित कर रखा है।
पहले से ही मुलाकात के लिए इतनी आपाधापी मची है कि ज्यादातर लोगों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। लालू प्रसाद आवेदन के आधार पर खुद निर्णय लेते हैं कि वे किससे मुलाकात करेंगे। इसके बाद बकायदा जेल प्रशासन को भी इसकी सूचना दी जाती है। उनके साथ साये की तरह रहने वाले विधायक भोला यादव तमाम आवेदन उन तक पहुंचाते हैं। लालू प्रसाद की मंजूरी मिलने के बाद ही तय किया जाता है कि अमुक शख्स उनसे मुलाकात कर पाएगा या नहीं।
…तब ऐसी नहीं थी सख्ती : वक्त-वक्त की बात है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद को जेल में इतनी सख्ती का सामना पहले नहीं करना पड़ा है। इससे पूर्व 2014 में जब वे बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद थे तो मुलाकात करने वालों की भीड़ लगी रहती थी। लोग उनके लिए खानेपीने का पसंदीदा सामान तक लेकर आते थे। जेल में सेवादारों का अमला था। लालू प्रसाद को सत्तू, चूड़ा, दही बेहद पसंद है। तब जेल में बंदिशें नहीं के बराबर थी।
राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार थी और लालू प्रसाद की राजद का उनकी सरकार को समर्थन प्राप्त था लेकिन बदले हालात में जेल के नियम सख्त हैं। लालू प्रसाद कैदी के तौर पर जेल प्रशासन की सख्त निगरानी में हैं। उनका इलाज रिम्स के पेइंग वार्ड में चल रहा है। सीसीटीवी के जरिए अधिकारी लगातार गतिविधियों पर नजर रखते हैं। हाल ही में उनके वार्ड में बाहर से भोजन ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
खरमास खत्म, अब तेज होगी आवाजाही : लालू प्रसाद बिहार के साथ-साथ झारखंड में विपक्षी दलों के महागठबंधन की रूपरेखा तय करेंगे। उनकी निगाह राष्ट्रीय स्तर पर चल रही राजनीतिक गतिविधियों पर भी है। अभी तक उनसे मुलाकात करने आये विपक्ष के नेताओं से उन्होंने विपक्षी गठबंधन को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। लालू प्रसाद ज्यादा सीटें सहयोगी दलों को नहीं देंगे।
बताया जाता है कि उन्होंने मुलाकात करने आए पूर्व केंद्रीयमंत्री शरद यादव को भी सलाह दी है कि वे राजद की टिकट पर चुनाव लडऩे का मन बनाएं। पटना साहिब के भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी पाला बदलना चाहते हैं। सीटों के बंटवारे के मसले पर रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी गुहार लगा गए हैं। कांग्र्रेस के वरीय नेता डा. शकील अहमद ने भी मुलाकात की है। सीपीआइ के महासचिव सीताराम येचुरी, बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी दरबार में हाजिरी लगाई है लेकिन लालू प्रसाद ने किसी के साथ सीटों को लेकर हामी नहीं भरी है।
लालू प्रसाद को करीब से जानने वाले एक राजद नेता के मुताबिक खरमास खत्म हो गया है। अब वे विपक्षी महागठबंधन पर अपना रुख स्पष्ट करेंगे। बिहार में सीटों के बंटवारे के साथ-साथ वे झारखंड का भी मसला सुलझाएंगे। कई राष्ट्रीय नेता भी उनसे मुलाकात करने आ सकते हैं। पहले राजद नेताओं को उम्मीद थी कि लालू प्रसाद को हाई कोर्ट से जमानत मिल जाएगी लेकिन अदालत ने अर्जी ठुकरा दी।