वाराणसी। भाषावार प्रांतों में बंटा भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक है। इसकी इस एकता की सुदृढ़ता में प्रादेशिक संस्कृतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भिन्न-भिन्न भाषाओं और बोलियों के ताने-बाने से बुनी हुई प्रादेशिक संस्कृति का धरातल एक ही है। इसे हम विविधता में एकरूपता या अनेकता में एकता की संज्ञा देते हैं। यही चेतना भारतीय संस्कृति की अस्मिता है। किसी भी संस्कृति के विकास में उसकी भाषाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि भाषा ही मनुष्य की दूसरी जननी है।
वेदों पुराणों के अनुसार धरती का पहला और आखिरी शहर काशी से भारतीय भाषाओं की आवाज हिन्दुस्थान समाचार 14 सितंबर को भाषाई कला संगम—2024 के जरिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एकसूत्र में पिरोएगा।
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श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर का त्रियंबकेश्वर सभागार हिन्दुस्थान समाचार नेवज एजेंसी की ओर से आगामी 14 सितंबर को आयोजित होने वाले ‘पंच प्रण : भारतीय भाषाएं, संस्कृति और समृद्ध भारत’ विषयक भाषाई कला संगम—2024 का साक्षी बनेगा। मुख्य अतिथि बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, मुख्य वक्ता आनंदम धाम ट्रस्ट वृंदावन मथुरा उत्तर प्रदेश के सद्गुरु ऋतेश्वर जी महाराज, विशेष वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख अभय कुमार कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे और ‘पंच प्रण : भारतीय भाषाएं, संस्कृति और समृद्ध भारत’ का प्रतिनिधित्व करेंगे।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, धर्मार्थ, संस्कृति एवं पर्यटन उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी, राज्य सूचना आयुक्त उत्तर प्रदेश पदुम नारायण द्विवेदी भाषाई कला संगम-2024 कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि होंगे। हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष अरविंद भालचन्द मार्डीकर कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे तो हिन्दुस्थान समाचार समूह के निदेशक प्रदीप मधोक ‘बाबा’ स्वागत अध्यक्ष होंगे।