“लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बिजली विभाग के निजीकरण के कदम पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इससे उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और टैरिफ रेट में वृद्धि होगी। लोकदल ने इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर लोकदल ने सरकार के कदम का कड़ा विरोध किया है। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार बिजली के दो डिसकॉम को पांच हिस्सों में बांटने की योजना के तहत निजी कंपनियों, जैसे कि अदानी और अंबानी, को इसका प्रबंधन सौंपने की तैयारी कर रही है। उनका कहना है कि इससे उपभोक्ताओं का नुकसान होगा और बिजली की दरों में वृद्धि होगी, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा, जो पहले से महंगाई की मार झेल रही है।
चौधरी सुनील सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि सपा सरकार द्वारा 2013 में लागू की गई पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल की योजना को नियामक आयोग ने रोक दिया था, और अब उत्तर प्रदेश सरकार उसी फेल मॉडल को लागू करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि नोएडा में टोरेंट पावर को सौंपने से कोई फायदा हुआ है, तो सरकार ने श्वेत पत्र क्यों जारी नहीं किया?
लोकदल ने सरकार से अपील की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए ताकि प्रदेश की जनता पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े।
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