लखनऊ। हेलमेट सुरक्षा के लिए है तो इसका प्रयोग भी इसी लिहाल से होना चाहिए। बिंदिया कभी भाई की रक्षा के लिए टीका है, कभी मेहमान का स्वागत करता तिलक तो कभी सुहाग की निशानी। संदेश, ख्वाहिश और उम्मीदों की ऐसी ही बैक टू बैक नौ लघु फिल्में जब पर्दे पर उतरीं तो सबके मुंह से बेसाख्ता वाह निकला।
यह नजारा था मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग का। जहां विभाग की ओर से आयोजित एक दिवसीय ’विबग्योर फिल्म फेस्टिवल’ छात्रों की बनाई गई फिल्में पेश की गईं।
इसकी शुरुआत फिल्म’दास्तान-ए-हेलमेट’ से हुई। इसके जरिए हेलमेट को कभी सब्जी का थैला, तो कभी फैशन में ना लगाने से बचने का संदेश दिया गया।
इसके बाद ’शूज’ से लड़कियों को अगर मौका मिले तो वो लिख सकती हैं नई इबारत का संदेश दिखाया। अन्य लघु फिल्म ’बिंदिया’ के जरिए माथे पर लगी बिंदी के महत्व को समझाया गया।
इसके बाद वेस्ट नन सेव मिलियन, मैचस्टिक, फ्लैक्सी रबर, उम्मीद कितनी जरूरी है, लोचा-ए- रिपोर्टिंग और कहीं टूट न जाए ये डोर लघु फिल्म दिखाई गई।
इनके जरिए सामाजिक मुद्दों को उठाया गया और लोगों से अपील की कि गई कि वे इन्हें महज मनोरंजन समझकर भूल न जाएं। दूसरों तक भी यह संदेश जरूर पहुंचाए।
ये लघु फिल्में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा बनाई गई थीं। इसका संचालन साक्षी भार्गव, नित्यानंद गुप्ता और शाहिंदा वारसी ने किया।