“उत्तर प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने 1000 मत्स्य सहकारी समितियों के गठन, मोती की खेती को प्रोत्साहन, और प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के लक्ष्यों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार मछुआ समुदाय के सर्वांगीण विकास और मत्स्य उत्पादन में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में मत्स्य विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।
मुख्य बिंदु:
- 1000 मत्स्य सहकारी समितियों का गठन:
मंत्री ने बहुद्देशीय मत्स्य सहकारी समितियों के गठन की धीमी प्रगति पर असंतोष जताते हुए अभियान चलाकर 1000 समितियों के गठन का कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया।
इन समितियों के माध्यम से अधिक से अधिक मछुआरों को रोजगार प्रदान करने की योजना है।
- मोती की खेती को प्रोत्साहन:
प्रदेश में मोती की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश।
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मछुआ समुदाय के आर्थिक सशक्तिकरण को बल मिलेगा।
- योजनाओं का समयबद्ध क्रियान्वयन:
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, और निषादराज बोट योजना के तहत सभी लक्ष्यों को फरवरी 2025 तक पूरा करने के निर्देश।
बजट के शत-प्रतिशत उपयोग और योजनाओं के क्रियान्वयन में धनराशि की कोई कमी न होने की बात पर जोर।
- मत्स्य उत्पादन और जलक्षेत्र का उपयोग:
अनुपयुक्त जलक्षेत्र जैसे वेटलैंड, खारा पानी क्षेत्र, और जलाशयों को मत्स्य विकास कार्यक्रम में शामिल करने का निर्देश।
इनसे मछुआरों की आय में वृद्धि और आर्थिक सशक्तिकरण की संभावनाएं बढ़ेंगी।
- सहकारी समितियों और एयरेशन सिस्टम:
सघन मत्स्य पालन के लिए एयरेशन सिस्टम की स्थापना और सहकारी समितियों की भूमिका पर विशेष जोर।
मत्स्य उत्पादन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए सघन योजना की आवश्यकता।
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प्रमुख सचिव मत्स्य के. रविंद्र नायक ने सभी योजनाओं के लाभार्थियों के चयन में समयबद्धता और निष्पक्षता का पालन सुनिश्चित करने की बात कही।