लखनऊ, 2 मई। उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में जब उल्लेखनीय विकास की बात होती है, तो अब केवल अयोध्या, काशी या मथुरा का ही नाम नहीं लिया जाता, बल्कि नैमिष तीर्थ में बदलाव भी अब चर्चा का विषय बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नैमिषारण्य न सिर्फ श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय रोजगार के क्षेत्र में भी एक नई पहचान बना रहा है।
2017 में विकास प्राधिकरण घोषित होने के बाद नैमिष तीर्थ में बदलाव की शुरुआत हुई, जो अब पूर्ण गति से आगे बढ़ रही है। आंकड़े बताते हैं कि श्रद्धालुओं की संख्या 2017 के मुकाबले दोगुने से अधिक हो गई है। पहले जहां अमावस्या पर चक्रतीर्थ में स्नान करने वालों की संख्या 1 लाख के आसपास थी, अब यह 2 लाख से ऊपर जा पहुंची है। इसी तरह मौनी अमावस्या और गुरु पूर्णिमा जैसे पर्वों पर यह आंकड़ा 3-4 लाख को पार कर चुका है।
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योगी सरकार के नैमिष तीर्थ में बदलाव के प्रयास सिर्फ तीर्थयात्रियों की संख्या तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और सौंदर्यीकरण के स्तर पर भी यह तीर्थ क्षेत्र नए रूप में सामने आ रहा है। करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से चक्रतीर्थ प्रवेश द्वार, हेलीपोर्ट, शयनगृह, सीतापुर लिंक रोड की पार्किंग, और ध्रुव तालाब के सौंदर्यीकरण जैसी परियोजनाएं चल रही हैं।
मुख्यमंत्री स्वयं इन कार्यों की समय-समय पर समीक्षा करते हैं। जिलाधिकारी अभिषेक आनंद के अनुसार यह कार्य मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप तय समयसीमा में और गुणवत्ता के साथ पूरे किए जा रहे हैं।
स्थानीय पुरोहित प्रह्लाद बाबू दीक्षित ने इसे सनातन संस्कृति को मजबूती देने वाला प्रयास बताया। वहीं होटल व्यवसायी प्रशांत ठाकुर के अनुसार अब नैमिष तीर्थ को उत्तर भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आने लगे हैं, जिससे स्थानीय कारोबार को बड़ा सहारा मिला है।
दक्षिण भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु नैमिषारण्य पहुंच रहे हैं, खासतौर से सोशल मीडिया प्रचार और दक्षिण भारतीय मंदिरों के निर्माण के बाद। नैमिष तीर्थ में बदलाव के चलते अब यह स्थल उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर एक उभरता हुआ केंद्र बन गया है।