लखनऊ। हिंदू धर्म में नवरात्र का पर्व एक विशेष महत्व रखता है। यह पर्व वर्ष में चार बार मनाया जाता है, जिसमें दो प्रमुख नवरात्र (चैत्र और शारदीय) और दो गुप्त नवरात्र (माघ और आषाढ़) शामिल हैं। इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर 2024 को हो रही है। इस अवसर पर भक्तगण मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं, जिससे उन्हें मनचाहा फल प्राप्त होता है।
नवरात्र का महत्व
नवरात्र का पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इस अवधि में मां का धरती पर आगमन होता है, और भक्तगण उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस पर्व में श्रद्धा के साथ व्रत और पूजा करने से साधकों के दुख-संताप दूर होते हैं।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र की शुरुआत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल घट स्थापना का मुहूर्त 03 अक्टूबर, 2024 को सुबह 06:15 से 07:22 बजे और अभिजीत मुहूर्त 11:46 से 12:33 बजे तक रहेगा।
मां दुर्गा के नौ स्वरूप
- माता शैलपुत्री:
स्वरूप: सफेद रंग की देवी, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।
2. माता ब्रह्मचारिणी:
स्वरूप: श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे में कमंडल।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।
3. मां चंद्रघंटा:
स्वरूप: स्वर्णिम वर्ण वाली देवी, मस्तक पर घंटे का अर्धचंद्र।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।
4. मां कुष्मांडा:
स्वरूप: दिव्य और अलौकिक, आठ भुजाएं धारण करती हैं।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।
5. मां स्कंदमाता:
स्वरूप: कार्तिकेय की मां, चार भुजाएं और एक हाथ में कमल।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।
6. मां कात्यायनी:
स्वरूप: चमकीला वर्ण, तलवार और वर मुद्रा।
मंत्र: कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।
7. मां कालरात्रि:
स्वरूप: तीन नेत्रों वाली देवी, खड्ग और लौह शस्त्र धारण करती हैं।
मंत्र: ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।
8. माता महागौरी:
स्वरूप: सफेद वस्त्र, चतुर्भुज देवी, त्रिशूल और वर मुद्रा।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।
9. मां सिद्धिदात्री:
स्वरूप: चार भुजाओं वाली, हाथ में शंख, गदा, कमल और प्रक धारण करती हैं।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।
नवरात्र का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों को आत्मिक शांति और समृद्धि का मार्ग भी दिखाता है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना से भक्तों को उनके मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। इस नवरात्र पर श्रद्धा और भक्ति के साथ मां दुर्गा की आराधना करें और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति करें।