“हिमाचल कैडर की IPS अधिकारी इल्मा अफरोज को लेकर यूपी उपचुनाव में सियासी घमासान। BJP प्रत्याशी ने इल्मा का खुला समर्थन किया, सपा और कांग्रेस पर मुस्लिम वोटों के लिए राजनीति करने का आरोप लगाया।”
मनोज शुक्ल
मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में होने वाले उपचुनाव में अब एक नया विवाद सामने आया है, जो सियासी गर्मी को और बढ़ा रहा है। इस बार मुद्दा हिमाचल प्रदेश की आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज का बन गया है। मुरादाबाद जिले के कुंदरकी क्षेत्र की निवासी और हिमाचल कैडर की 2017 बैच की आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज को हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने लंबी छुट्टी पर भेज दिया। हिमाचल सरकार की यह कार्रवाई कांग्रेस विधायक की पत्नी के वाहनों का चालान काटने और डंपर सील करने के बाद हुई।
यह मामला तब तूल पकड़ा जब यूपी उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ने इल्मा अफरोज का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और सपा मुस्लिम समुदाय की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही हैं और सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं। रामवीर सिंह का कहना था कि इल्मा अफरोज का अपमान करना और उन्हें छुट्टी पर भेजना एक महिला अधिकारी के प्रति गलत व्यवहार है।
रामवीर सिंह का मुस्लिम वोट बैंक पर दांव
कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल है, और यहां मुस्लिम वोटों का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने इल्मा अफरोज का समर्थन करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा मुस्लिम समाज की भावनाओं का सम्मान करती है। रामवीर ने अपने समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस सिर्फ मुस्लिम समाज का समर्थन चुनावी मौसम में मांगते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि वे एक मुस्लिम अधिकारी की जायज कार्रवाई तक को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे।
इससे पहले, रामवीर सिंह जालीदार टोपी और अरबी रुमाल पहनकर मुस्लिम वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश कर चुके हैं। उनका यह कदम मुस्लिम समाज के बीच भाजपा की छवि को सुधारने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
एसटी हसन का बयान: कांग्रेस और सपा की आलोचना
मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने भी इल्मा अफरोज के समर्थन में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार का यह कदम शर्मनाक है, क्योंकि एक महिला अधिकारी को सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाने की सजा दी गई। उन्होंने इस मामले में राहुल गांधी से हस्तक्षेप करने की अपील की है और कहा कि ऐसे विधायक के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने इल्मा अफरोज को गलत तरीके से निशाना बनाया।
इल्मा अफरोज का जीवन और करियर
इल्मा अफरोज मुरादाबाद जिले के कुंदरकी कस्बे की निवासी हैं। उनका परिवार साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया था, और उनकी मां ने उन्हें पढ़ाया। इल्मा ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर लंदन के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। 2017 में उनका आईपीएस के लिए चयन हुआ, और उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर मिला।
हिमाचल प्रदेश में बद्दी की एसपी रहते हुए इल्मा अफरोज ने कांग्रेस विधायक की पत्नी के वाहनों का चालान काटा और डंपर सील किया, जिससे कांग्रेस और उनके बीच विवाद पैदा हुआ। इसके बाद हिमाचल सरकार ने उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया।
रामवीर सिंह का बयान और सियासी असर
रामवीर सिंह ने इस विवाद को केवल एक प्रशासनिक समस्या नहीं, बल्कि चुनावी मुद्दा बना दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “कुंदरकी के लोग देख रहे हैं कि कांग्रेस और सपा गठबंधन सिर्फ मुस्लिम समाज का समर्थन दिखावे के लिए कर रहे हैं, जबकि वे एक मुस्लिम अधिकारी की जायज कार्रवाई तक को सहन नहीं कर पा रहे।” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो सभी समुदायों का सम्मान करती है और कानून के प्रति निष्पक्षता बनाए रखती है।
रामवीर का यह बयान मुस्लिम वोटरों को भाजपा की तरफ आकर्षित करने का प्रयास हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब कुंदरकी विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल गरमाया हुआ है।
सपा और कांग्रेस का मुस्लिम कार्ड
सपा और कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए रामवीर सिंह ने कहा कि ये पार्टियां सिर्फ मुस्लिम वोटों को अपने चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल करती हैं, जबकि उन्हें मुस्लिम समुदाय के असली मुद्दों पर काम करना चाहिए। रामवीर का कहना है कि इल्मा अफरोज का अपमान इस बात को साबित करता है कि इन पार्टियों के लिए मुस्लिम वोटों का सिर्फ चुनावी महत्व है, जबकि भाजपा इन समुदायों का सम्मान करती है।
इल्मा अफरोज के समर्थन में सोशल मीडिया अभियान
इल्मा अफरोज के समर्थन में सोशल मीडिया पर भी एक अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान उस समय में चल रहा है जब यूपी उपचुनाव के मतदान में सिर्फ कुछ दिन बाकी हैं। भाजपा और सपा दोनों ही इल्मा के समर्थन में अभियान चला रहे हैं, और यह चुनावी माहौल को और भी सियासी बना रहा है।
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रिपोर्ट: मनोज शुक्ल