दिल्ली । राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने प्रदूषण से निबटने के तरीकों को लेकर दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब की सरकारों को भी कड़ी फटकार लगाई है।
एनजीटी ने प्रदूषण से निबटने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर असंतोष जताते हुए कहा कि वह प्रदूषण को गंभीरता से नहीं ले रही है और इसलिए प्रभावी उपाय नहीं हो पा रहे हैं। उसने यह सवाल भी किया कि सड़कों पर पानी का छिड़काव क्रेन की बजाय हेलीकॉप्टरों से क्यों नहीं किया जा रहा है ।
एनजीटी ने इस मौके पर दिल्ली सरकार से यह जानना चाहा कि उसके पास ऐसे कोई आंकड़े हैं जिससे यह पता लगता हो कि राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों से धुंध और प्रदूषण में कोई कमी आई है। एनजीटी ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक सप्ताह के लिए भवन निर्माण गतिविधियों पर भी रोक लगा दी है।
उसने यह सवाल भी किया कि यह जानने के बावजूद कि पराली जलाने और दीपावली के बाद हर साल प्रदूषण बढ़ता है इस समस्या से निबटने के लिए अगस्त या सितंबर में कोई बैठक क्यों नहीं बुलाई गई। न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार द्वारा स्कूल बंद किए जाने के उपायों पर सवाल उठाए और कहा कि घर में बैठने से क्या बच्चे से बच जाएंगे।
एनजीटी ने प्रदूषण के मामले में हरियाणा और पंजाब की सरकारों से पूछा कि उन्होंने फसलों के अवशेष जलाने को रोकने के लिए अपने यहां क्या उपाय किए हैं। उसने हरियाणा सरकार से कहा कि अगर राज्य में किसानों को कुछ आर्थिक मदद दी गयी होती तो इतने बड़े पैमाने पर पराली नहीं जलाई गई होती।
न्यायाधिकरण ने पंजाब सरकार से पूछा कि उसने अपने यहां किसानों को फसल के अवशेषों को निपटाने के लिए क्या सुविधा दी है। उसने यह भी पूछा कि निर्माण गतिविधियों पर रोक के बावजूद दिल्ली चंडीगढ़ मार्ग पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य आखिर कैसे हो रहे हैं।
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की स्थित लगातार गंभीर बनी हुई है। हवा में प्रदूषक तत्वों पर्टिकुलेट मैटर 10 और 2।5 की मात्रा 10 गुना बढ़ चुकी है जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
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