लखनऊ। आसन्न उप्र विधानसभा चुनाव को लेकर दूसरे प्रदेशों के बड़े नेताओं की दिलचस्पी एकाएक बढ़ गई है। इसमें तीन प्रदेशों के मुख्यमंत्री शामिल हैं।
मुख्य अतिथियों में से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। जिनकी नजर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पैनी निगाहें उत्तर प्रदेश की राजनीति पर टिकी हुई हैं।
इसके अलावा जद(यू) के शरद यादव तथा गुजरात के हार्दिक पटेल भी पीछे नहीं हैं। इन नेताओं की नजर भी यूपी के विधानसभा चुनाव पर टिकी हुईं हैं। हार्दिक पटेल तो गुजरात में ही रहकर उप्र के पटेल समाज को आरक्षण के लिए हवा दे रहे हैं।
जगजाहिर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिलचस्पी पहले से ही उत्तर प्रदेश में ही है। बिहार की तरह वह यूपी में भी शराब बंदी करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर दबाव डालते रहते हैं।
बीती 27 जुलाई 2016 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बसपा के बागी आरके चौधरी की एक रैली में शामिल होकर यह जताने का प्रयास किया कि वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी दिलचस्पी रखते हैं। यही नहीं नीतीश कुमार ने यूपी में शराब बंदी के लिए कई कार्यक्रमों में हिस्सा भी ले चुके हैं।
नीतीश कुमार यूपी में शराब बंदी के माध्यम से आधी आबादी के वोट बैंक पर सेंध लगाना चाहते हैं। यह तो आगे का समय ही बताएगा कि वह इस मुहिम में कितना सफल हो पाते हैं। यही नहीं नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी की एक राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक वाराणसी में कर चुके हैं और कई उप्र के कार्यक्रमों में शिरकत भी की।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रति साफ्ट कार्नर है। यही कारण है कि गत 29 नवम्बर को नोटबंदी के मुद्दे पर जब वह यूपी आईं तो प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया और यह जताने का प्रयास किया कि वह हर मुद्दे पर ममता बनर्जी के साथ हैं।
ममता बनर्जी एक दिन राजधानी के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में ठहरी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से नोटबंदी तथा अन्य राजनीतिक मसलों पर लंबी वार्ता भी की और अगली रणनीति पर विचार किया।
गुजरा के हार्दिक पटेल भी पटेल आरक्षण आंदोलन उत्तर प्रदेश में तेज करना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश की पीस पार्टी भी पटेलों को उप्र के विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल करेगी। पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.अयूब खां के अनुसार उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार के लिए इस्तेमाल करेगी। उन्होंने कहा कि पटेल इसके लिए राजी भी हो गए हैं।