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एक झंडा, एक नेता और एक चेहरे पर चुनाव: शाहिद मंजूर

26-2लखनऊ।चुनाव शुरू होते ही समाजवादी पार्टी (सपा) में न मतभेद के न मनभेद के कोई सुर नहीं सुनाई देंगे। सपा लोकतांत्रिक पार्टी है, यहां सभी को अपनी बात करने की छूट है। सपा एक नेता, एक झंडा, एक नीति और एक चेहरे पर चुनावी समर में उतरेगी और सरकार बनाएगी।

यह कहना है प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री शाहिद मंजूर। विश्ववार्ता से खास मुलाकात में मंजूर ने पार्टी, सरकार और देश में लागू नोटबंदी पर अपनी बेबाक राय रखी। पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

सवाल : सपा परिवार का झगड़ा चुनाव पर कितना असर डालेगा?
मंजूर : सपा में झगड़ा कहां है। यह सब मीडिया की देन है। सपा एक लोकतांत्रिक पार्टी है। यहां सभी के अपनी बात कहने का अधिकार है। चुनाव शुरू होने दीजिए आप को पता चल जाएगा। सपा एक नेता(नेताजी), एक झंडा, एक नीति(समाजवाद) और एक चेहर(अखिलेश यादव) को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी और सरकार बनाएगी।

चुनाव में अखिलेश सरकार का काम बोलेगा। उनका चेहरा बोलेगा और नाम बोलेगा। मुख्यमंत्री ने प्रदेश का समग्र विकास किया है। एक्सप्रेस वे बनाए, मेट्रो चलवाई, पुलिस का अधुनिकीकरण, प्रदेश को डिजिटल बनाने का काम शुरू किया तो गांवों का भी विकास किया।गांवों को सड़कों से जोड़ने का काम किया। सोलर ऊर्जा से युक्त ग्रामीण आवास दिए हैं।

उन्होंने इतनी इमानदारी और समर्पण से काम किए है कि विरोधी भी उनपर उंगली नहीं उठा पा रहे है। इसीलिए कह रहा हूं कि चुनाव में उनका काम और उनकी छवि(चेहरा) पर जनता वोट देगी। केंद्र की मोदी सरकार ने नोटबंदी करके सोने पर सुहाग कर दिया। अपने ही पैसों के लिए दर-दर की ठोकर खाने वाली जनता काम पर वोट देगी या नोटबंदी पर।चुनाव होने दीजिए सपा 300 का आकड़ा पार कर जाएगी।

सवाल: नोटबंदी को कैसे देखते है?
मंजूर : नोटबंदी, गैरकानूनी तरीके से किया गया कानूनी काम है। रात के अंधरे में किया गया काम गैरकानूनी ही होता है। अचानक नोटबंदी के फैसले से देश में त्राहि-त्राहि हो गई। जो जहां था वहीं फंस गया। लोग सफर कर रहे थे, रास्ते में फंस गए। नकदी न होने के कारण लोग बीमार का इलाज नहीं करवा सके। नोटबंदी का तरीका गलत था। न तैयारी थी और न आज भी है।

गरीब आदमी दो हजार के अपने ही पैसे के लिए धक्के खा रहा है और उनके लोग लाखों के नए नोट पा रहे हैं। देश में आम कामगार बेराजगारी हो गए। उद्योग धंधे बंदी के कगार पर पहुंच गए। किसान मजदूर सभी पैसे की किल्लत से परेशान हैं। लोगों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। वहीं लाखों-करोड़ों के नए नोट बरामद हो रहे हैं। सिस्टम फेल हो गया है। यों भी कहा जा सकता है कि अपने लोगों को नए नोट मुहैया करवाए जा रहे हैं। लोग दो हजार रुपए के लिए भटक रहे हैं और भाजपा करोड़ों रुपए की मोटरसाइकिल खरीद रही है। इससे तो यह मोदीजी की इंट्रीगिटी संदिग्ध हो जाती है। चिकनगुनिया जैसी बीमारी से भी घातक महामारी है।

सवाल: कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन की बात क्यों?
मंजूर : प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों और भाजपा से लड़ने में अकेले समाजवादी पार्टी ही सक्षम है। एक अन्य पार्टी भी अपने को धर्मनिरपेक्ष बताती है। वह है बहुजन समाज पार्टी। सता के लिए बसपा सांस्रदायिकता से समझौता कर लेती है, तो गुजरात जा कर उसकी नेता सांप्रदायिक पार्टी का चुनाव प्रचार भी करतीं हैं। मुस्लिम सोचता है कि बसपा को वोट देने से काई फायदा नहीं। सत्ता के लिए वह भाजपा से गठबंधन कर सकती है। जहां तक कांग्रेस और रालोद का सवाल है। दोनों ही पार्टियां धर्मनिरपेक्ष हैं। पर आज वे भाजपा या सांप्रदयिकता से लड़ने में सक्षम नहीं है। कांग्रेस के पास स्व. इंदिरा गांधी जैसा नेता नहीं है तो रालोद पूर्व में भाजपा के साथ गठबंधन करने का खामियाजा भुतग रही है। इसलिए बड़ी पार्टी होने के कारण सपा का दायित्व है कि धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई में समान विचारधारा के दलों को साथ लाए। इसका उन्हें भी लाभ होगा तो हमे भी फायदा होगा।

सवाल : सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार से चुनाव पर क्या फर्क पड़ेगा? (‘नेताजी’ खुद ऐसे मंत्रियों को इंगित कर चुके हैं)
मंजूर : ‘नेताजी’ पार्टी के संरक्षक हैं। उन्हें डांटने और फटकार लगाने का हक है। उनकी डांट के बाद कार्रवाई भी हुई। पर मुख्यमंत्री के विकास एजेंडे के आगे ऐसी छुटपुट घटनाएं कोई प्रभाव नहीं डाल पाएंगी।प्रभाव तो तब पड़ता जब शिकायत मिलने पर कार्रवाई न होती। प्रदेश की जनता समझ चुकी है कि मुख्यमंत्री जिस योजना में हाथ लगाते हैं, एसे अंजाम तक पहुंचाते ही हैं। उसके लिए वह अन्य सरकारों की तरह फंड का रोना नहीं रोते। अपने संसाधन से जनहित की योजनाएं पूरी करके जनता को फायदा दिलाते हैं। चुनाव तो मुख्यमंत्री के बेदाग छवि पर लड़ा जाएगा।

सवाल : अक्सर कानून-व्यवस्था को लेकर सपा सरकार पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं?
मंजूर : कानून-व्यवस्था की समस्या सिर्फ अपराध बढ़ने से नहीं होती। बिजली संकट हो, सड़के खराब हो के कारण जगह-जगह जाम लगता हो, जो भी कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी होती है।प्रदेश में आज बिजली आपूर्ति को लेकर कोई बवाल नहीं हो रहा। सड़कों के कारण कहीं धरना-प्रदर्शन नहीं हो रहा। रही बात अपराध की तो मुख्यमंत्री ने अपराध से लड़ने के लिए पूरी व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन किया है। पुलिस में बड़े पैमाने पर भर्तियां की। वाहन के अभाव या खराब वाहन के कारण पुलिस अब अपराधियों का पीछा करने में पीछे नहीं है। पुलिस का आधुनिकीकरण इस दिशा में बहुत बड़ा काम है। लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री ने 1090 जैसी महत्वपूर्ण योजना शुरू की इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। डायल-100 और यूपी-100 जैसी योजना शुरू करके उन्होंने पुलिस को गतिशील बना दिया है। यूपी-100 तो ऐसी योजना है कि पूरी दुनिया में उसकी प्रशंसा हो रही है। इस सबका कानून-व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव दिखई पड़ रहा है।

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