Monday , July 14 2025

मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री हिरासत में

मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री हिरासत में

कुआलालम्पुर: राज्य विकास निधि 1एमडीबी भ्रष्टाचार मामले में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक को मंगलवार को पुलिस हिरासत में लिया गया है. मलयेशियाई भ्रष्टाचार रोधी आयोग (एमएसीसी) ने एक बयान में कहा कि नजीब को 1एमडीबी की पूर्व इकाई, एसआरसी इंटरनेशनल से जुड़ी जांच के सिलसिले में अपराह्न 2.35 …

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नेस्तोनाबूद हो गया आतंक का एक नाम, मारा गया आईएस सरगना बगदादी का बेटा

नेस्तोनाबूद हो गया आतंक का एक नाम, मारा गया आईएस सरगना बगदादी का बेटा

सीरिया के होम्स प्रांत में जिहादियों के एक हमले के दौरान इस्लामिक स्टेट सरगना अबू बकर अल-बगदादी का बेटा हुदायफाह अल-बद्री मारा गया. आईएस की प्रोपैगैंडा एजेंसी अमाक ने एक बयान में कहा, ‘‘होम्स में थर्मल पावर स्टेशन पर नुसायरियाह और रूस के खिलाफ अभियान में अल-बद्री मारा गया.’’ अमाक …

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ईरान से तेल निर्यात पर भारत को नहीं मिलेगी कोई छूट: अमेरिका

अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा है कि भारत और तुर्की जैसे देशों को ईरान से तेल के आयात पर कोई छूट नहीं मिलेगी. ट्रंप सरकार का मानना है कि अगर इन देशों को कोई छूट दी गई तो ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध बेअसर साबित होंगे. इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान वो तीसरा देश है जो भारत को सबसे ज़्यादा तेल निर्यात करता है. अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच ईरान ने भारत को 18.4 मिलियन टन तेल का निर्यात किया है. अमेरिका ने जारी की है 11 देशों की लिस्ट अमेरिका ने 11 देशों से कहा है कि वो ईरान से तेल लेना बंद कर दें. इन 11 देशों की लिस्ट में भारत का भी नाम शामिल है. अमेरिका ने ईरान पर जो ताज़ा प्रतिबंध लगाए हैं उसके तहत वो चाहता है कि ये 11 देश और इससे जुड़ी कंपनियां ईरान से तेल लेना बंद कर दें. एक सावल के जवाब में एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ट्रंप के देश ने भारत और चीन को भी उन देशों की लिस्ट में शामिल किया है जिनसे चार नवंबर के बाद ईरान से तेल का कारोबर बंद कर देने की उम्मीद जताई जा रही है. लेकिन चीन इसे मानता नज़र नहीं आ रहा. अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत और चीन इस लिस्ट में सबसे बड़े और ज़रूरी देश हैं क्योंकि उनकी एनर्जी की ज़रूरतें बहुत ज़्यादा हैं. ऐसे में ईरान पर लगे प्रतिबंध का इन देशों और इनकी कंपनियों को पालन करना होगा. अधिकारी ने याद दिलाया कि साल 2015 के पहले भी अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखे था. ताज़ा प्रतिबंधों के तहत ये तय किया जाएगा कि भारत और चीन जैसे देशों का ईरान के साथ तेल व्यापार शून्य पर चला जाए. अमेरिका का मानना है कि भारत-चीन समेत लिस्ट में शामिल 11 देशों और इनसे जुड़ी कंपनियों को अभी से ईरान के साथ तेल के व्यापार में कमी लाना शुरू कर देना चाहिए और चार नवंबर तक इसे ज़ीरो पर ले आना चाहिए. मई में परमाणु समझौते से अलग हुआ था अमेरिका अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई महीने में ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी. ओबामा के समय के इस समझौते की ट्रंप पहले ही कई बार आलोचना कर चुके हैं. समझौते से अलग होते हुए ट्रंप ने कहा था, ‘‘मेरे लिए यह साफ है कि हम ईरान को परमाणु बम बनाने से नहीं रोक सकते. ईरान समझौता कई खामियों से भरा और एकतरफा है.’’ अलग होने के बाद उन्होंने ईरान के खिलाफ ताजा प्रतिबंधों वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे और बाकी के देशों को ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम पर उसका साथ देने के खिलाफ चेतावनी दी थी. ट्रंप ने कहा था कि इस समझौते ने ईरान को बड़ी मात्रा में धन दिया और इसे परमाणु हथियार हासिल करने की तरफ बढ़ने से नहीं रोक सका. अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही ट्रंप ने ओबामा के कार्यकाल में किए गए ईरान परमाणु समझौते की कई बार आलोचना की थी. उन्होंने समझौते को खराब बताया था. इस समझौते की मध्यस्थता करने वाले तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी थे. जुलाई 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों और जर्मनी (P5+1) के अलावा यूरोपीय यूनियन के बीच वियना में ईरान परमाणु समझौता हुआ था. क्या था समझौता और क्यों हुआ फेल ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते के मुताबिक ईरान को अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना था, बदले में उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में रियायत दी गई थी. डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाए कि ईरान समझौते के बाद भी दुनिया से छिपकर अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखे हुए है जिसके बाद ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर समझौता फेल हुआ तो वो पहले से कहीं ज्यादा यूरेनियम का संवर्धन करेगा. इसी सब के बीच अमेरिका चाहता है कि भारत और चीन जैसे दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले दो बड़े देश ईरान से तेल लेना बंद कर दें.

अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा है कि भारत और तुर्की जैसे देशों को ईरान से तेल के आयात पर कोई छूट नहीं मिलेगी. ट्रंप सरकार का मानना है कि अगर इन देशों को कोई छूट दी गई तो ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध बेअसर साबित …

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अफगानिस्तान आत्मघाती हमला- दो ही विकल्प हैं, या तो इस्लाम अपना लें या भारत चले जाएं: सिख समुदाय

अफगानिस्तान आत्मघाती हमला- दो ही विकल्प हैं, या तो इस्लाम अपना लें या भारत चले जाएं: सिख समुदाय

लंबे समय से अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा रहे सिख अब भारत आने का फैसला कर रहे हैं. उन्होंने ये फैसला उस आत्मघाती हमले के बाद किया जिसमें इस समुदाय के कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई थी. आईएस के इस हमले में हुई मौतों में वहां की …

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गोवा में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के लिए ड्रग जिम्मेदार: कांग्रेस विधायक

गोवा में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के लिए ड्रग जिम्मेदार: कांग्रेस विधायक

कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक का कहना है कि ड्रग की बिक्री और उसका इस्तेमाल गोवा में रेप की बढ़ती घटनाओं के लिए जिम्मेदार है. कांग्रेस विधायक एंटोनियो फर्नांडीस ने कहा, ‘‘आप केवल शिकायत नहीं करते रह सकते कि गोवा में रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं, जब आपका ड्रग की बिक्री …

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Exclusive: चुनावी साल में किसानों को लुभाने की कोशिश, खरीफ फसलों की MSP में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी करेगी मोदी सरकार

Exclusive: चुनावी साल में किसानों को लुभाने की कोशिश, खरीफ फसलों की MSP में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी करेगी मोदी सरकार

खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में आज मोदी सरकार ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी कर सकती है. आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में 2018 -19 के लिए धान समेत अन्य ख़रीफ़ फ़सलों के समर्थन मूल्य पर मुहर लग सकती है. इस साल के बजट में मोदी सरकार ने सभी फ़सलों के समर्थन …

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दिल्ली-केंद्र अधिकार विवाद: कौन होगा बॉस? आज फैसला सुनाएगी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ

दिल्ली-केंद्र अधिकार विवाद: कौन होगा बॉस? आज फैसला सुनाएगी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ

दिल्ली-केंद्र अधिकार विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ का फैसला आएगा. इससे तय हो जाएगा कि दिल्ली का कामकाज चलाने में राज्य सरकार और उपराज्यपाल की क्या भूमिका है. इस मामले में संविधान पीठ ने पिछले साल छह दिसंबर को सुनवाई पूरी की थी. इससे …

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LIVE: दिल्ली-केंद्र अधिकार विवाद: फैसला पढ़ते हुए जज ने कहा- संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकार विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ थोड़ी देर बाद अपना फैसला सुनाएगी. इस फैसले से तय हो जाएगा कि दिल्ली का कामकाज चलाने में राज्य सरकार और उपराज्यपाल की क्या भूमिका होगी. इस मामले में संविधान पीठ ने पिछले साल छह दिसंबर को सुनवाई पूरी की थी. इससे पहले चार अगस्त 2016 को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली एक केन्द्र शासित क्षेत्र है. यहां केंद्र के प्रतिनिधि उपराज्यपाल की मंजूरी से ही फैसले लिए जा सकते हैं. पल-पल की अपडेट के लिए बने रहिए एबीपी न्यूज़ के साथ. LIVE UPDATES: 10.41 AM: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा है कि लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं. जनता के प्रति जवाबदेही सरकार होनी चाहिए.संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता. 10.38 AM: जज ने यह भी कहा है कि शक्तियों में समन्वय होना चाहिए. शक्तियां एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती. 10.35 AM: संविधान पीठ के जज 10.32 AM: कोर्टरूम में संविधान पीठ के पांचों जज पहुंच चुके हैं. संविधान पीठ ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है. 10.27 AM: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुंचे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया. 10.10 AM: दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही एलजी को दिल्ली का बॉस बता चुका है इसी फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 10.00 AM: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ थोड़ी देर बाद अपना फैसला सुनाएगी दिल्ली को लेकर संविधान में क्या लिखा है? संविधान के आर्टिकल 239A के तहत संविधान में दिल्ली में विधानसभा, मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की व्यवस्था की गई. इसमें ही एक हिस्सा है आर्टिकल 239AA (4) जिसमे लिखा है कि दिल्ली में उपराज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करेंगे. लेकिन पूरे कानून में कहीं पर भी ये नहीं लिखा कि चुने हुए मुख्यमंत्री की सलाह मानना उपराज्यपाल के लिए बाध्य है या नही. केजरीवाल चाहते हैं कि ये सलाह बाध्यकारी हो दिल्ली सरकार ने दी थी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. लगभग 15 दिन चली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहली नज़र में उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रमुख नज़र आते हैं, लेकिन रोज़ाना के कामकाज में उनकी दखलंदाज़ी से मुश्किल आ सकती है. दिल्ली के लोगों के हित मे राज्य सरकार और एलजी को मिल कर काम करना चाहिए. अनुच्छेद 239 AA में एलजी का दर्जा राज्य सरकार से ऊपर- केंद्र दिल्ली सरकार की दलील थी कि दिल्ली का दर्जा दूसरे केंद्रशासित क्षेत्रों से अलग है. संविधान के अनुच्छेद 239 AA के तहत दिल्ली में विधानसभा का प्रावधान किया है. यहां निर्वाचित प्रतिनिधियों के ज़रिए एक सरकार का गठन होता है. उसे फैसले लेने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए. जवाब में केंद्र सरकार का कहना था कि जिस अनुच्छेद 239 AA का हवाला दिल्ली सरकार दे रही है, उसमें भी एलजी का दर्जा राज्य सरकार से ऊपर माना गया है. एलजी के पास लंबित होती हैं ज़रूरी फाइलें- दिल्ली सरकार मंत्रिमंडल और उपराज्यपाल में किसी विषय पर मतभेद होने पर उसे राष्ट्रपति के पास भेजने की बात कही गई है. लेकिन ये साफ लिखा है कि राष्ट्रपति का निर्णय आने तक उपराज्यपाल का फैसला ही माना जाएगा. दिल्ली सरकार ने सुनवाई के दौरान एलजी के पास ज़रूरी फाइलें लंबित होने का भी हवाला दिया.

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकार विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ थोड़ी देर बाद अपना फैसला सुनाएगी. इस फैसले से तय हो जाएगा कि दिल्ली का कामकाज चलाने में राज्य सरकार और उपराज्यपाल की क्या भूमिका होगी. इस मामले में संविधान पीठ ने पिछले …

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आज का राशिफल, 04 जुलाई 2018: जानिए किस राशि वालों को रखना है अपने पर नियंत्रण?

आज का राशिफल, 04 जुलाई 2018: जानिए किस राशि वालों को रखना है अपने पर नियंत्रण?

आज (04 जुलाई, बुधवार) का राशिफल में जानें मेष राशि वाले क्या ना करें आज ? वृष राशि वाले क्यों होंगे परेशान ? मिथुन राशि वाले किसपर रखें नियंत्रण? कर्क राशि वाले क्या करें आज ? अन्य सभी राशियों से भी हाल बता रहे हैं गुरूजी पवन सिन्हा. जानें आपका राशि क्या कहता है- मेष राशि (Aries Horoscope)- दशाम …

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सड़क हादसों की वजह है ट्रिपल ओ, जानिए क्या है ये

ट्रिपल ओ' यानी ओवरस्पीड, ओवरलोडिंग और ओवरटेक के दौरान नियमों की अनदेखी 60 फीसद सड़क हादसों का मूल कारण होती है। इसे लेकर पुलिस कार्रवाई भी करती है, फिर भी हालात जस के तस हैं। पौड़ी के धुमाकोट में रविवार को हुए बस हादसे में 48 लोगों की जान चली गई। हादसे की असल वजह क्या रही, तंत्र इसकी पड़ताल में जुट तो गया है। लेकिन, एक बात तो साफ हो चुकी है कि 28 सीटर बस में क्षमता से दोगुने यानी 61 यात्री सवार थे। ऐसे में साफ है कि सड़क पर वाहन चलाते समय की गई छोटी सी लापरवाही मौत की नींद सुला देती है। राजधानी दून की बात करें तो यहां सड़क हादसों में प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ सौ से अधिक लोग जान गवा देते है, वहीं इससे दो गुना घायल होकर जिंदगीभर दुर्घटना का दंश झेलते हैं। पुलिस की मानें तो सड़क हादसों का सबसे अहम कारण अप्रशिक्षित चालक, लापरवाही, ओवरलो¨डग और यातायात नियमों का पालन नहीं होना है। यही नहीं सड़कों पर पार्किंग, अधूरे सड़क निर्माण, यातायात संकेतकों की कमी, ओवरलोड वाहन व तेज रफ्तार सहित ऐसे बहुत से कारण हैं, जिन पर कार्रवाई न होने के कारण स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। कम जुर्माने से नहीं रहा डर उत्तराखंड में 17 साल में हुए 843 सड़क हादसे, ढाई हजार लोगों की हुई मौत यह भी पढ़ें सड़क हादसों के पीछे यातायात नियमों की अनदेखी सबसे बड़ा कारण होता है। छोटी-छोटी गलतियां कई बार बड़े हादसों का कारण बन जाती है। कई गलतियों पर मामूली जुर्माना होने से भी लोग सचेत होने की जगह जुर्माना भरना शौक समझते हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से ओवरस्पीड, रेड लाइट जंप, रफ ड्राइविंग सहित छह मामलों में गाड़ी छोड़ने का अधिकार आरटीओ को दिया गया है, लेकिन स्थिति यथावत है। लालच-मजबूरी भी है कारण मदरसों में टॉप करने के बाद भी अधर में है भविष्य, जानिए वजह यह भी पढ़ें पर्वतीय मार्गो पर सवारी वाहनों की संख्या मैदानी इलाकों की अपेक्षा कम होने के कारण निजी वाहन चालक मानक से कहीं ज्यादा सवारिया ढोते हैं। ओवरलोडिंग के पीछे वाहन चालक को अधिक किराये का लालच होता है तो लोगों के सामने मजबूरी। यह है चालान राशि रोडवेज कर्मियों को मिला ईद का ये तोहफा, जानिए यह भी पढ़ें वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, 500 रुपये बिना हेलमेट, 100 रुपये योग के बहाने पीएम मोदी ने दी विरोधियों को नसीहत, जानिए यह भी पढ़ें ओवर स्पीड, 500 रुपये रेडलाइट जंप, 100 रुपये रफ ड्राइविंग, 100 रुपये गलत ओवरटेक,100 रुपये धूमपान, 100 रुपये बिना सीट बेल्ट,100 रुपये बीते तीन वर्षो में प्रदेशभर में हुए सड़क हादसे वर्ष, दुर्घटनाएं, मृतक, घायल 2015, 1523, 913, 1657 2016, 1591, 962, 1736 2017, 1603, 942, 1631 2018(अब तक), 618, 390, 659 राज्य में हादसों के प्रमुख कारण और मौत के आंकड़े कारण, दुर्घटनाएं, मृतक, घायल ओवरस्पीड, 342, 226, 341 गलत साइड से ड्राइविंग, 43, 14, 48 गलत तरीके से ओवरटेक, 50, 24, 47 सड़क पर रेत, बजरी, 12, 14, 08 सड़क पर गड्ढे, 06, 04, 04 शराब पीकर गाड़ी चलाना, 06, 03, 011 वाहन की खराबी, 05, 02, 04 सड़क पर गाड़ी की पार्किंग, 07, 04, 08 (नोट: आंकड़े एक जनवरी से 31 मई 2018 तक के हैं) एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि अगर वाहन चलाते समय यातायात नियमों का पालन किया जाए तो हादसे का खतरा काफी हद तक टाला जा सकता है। जागरूकता अभियान के दौरान लोगों को इसके लिए प्रेरित भी किया जाता है। इसके साथ ही कार्रवाई भी की जाती है।

ट्रिपल ओ’ यानी ओवरस्पीड, ओवरलोडिंग और ओवरटेक के दौरान नियमों की अनदेखी 60 फीसद सड़क हादसों का मूल कारण होती है। इसे लेकर पुलिस कार्रवाई भी करती है, फिर भी हालात जस के तस हैं। पौड़ी के धुमाकोट में रविवार को हुए बस हादसे में 48 लोगों की जान चली …

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