22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के आतंकी अब तक सुरक्षा बलों की पकड़ से बाहर हैं। इस हमले में चार आतंकवादियों ने बायसरन घाटी में सैलानियों पर गोलीबारी की और 26 लोगों की जान ली। हमले के बाद आतंकी इतनी सफाई से जंगलों में भाग निकले कि आज 13 दिन बाद भी उनका कोई ठोस सुराग नहीं मिला है।
इन आतंकियों ने एक पूर्वनियोजित रणनीति के तहत हमला किया था। बायसरन घाटी तक सुरक्षा बलों को पहुंचने में समय लगता है, और आतंकी इसका फायदा उठाकर पहाड़ी और घने जंगलों में छिप गए। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि वे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के पुराने एस्केप रूट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पुलिस, सेना, CRPF, पैरा कमांडो और NIA की टीमें दिन-रात सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। अब तक 1000 से ज्यादा ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) से पूछताछ हो चुकी है और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। पहलगाम हमले के आतंकी को पकड़ने के लिए अनंतनाग, कुलगाम, त्राल और कोकेरनाग के जंगलों में अभियान जारी है।
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अब तक आतंकियों को दो बार लोकेट भी किया गया है, लेकिन हर बार वे घने जंगलों और दुर्गम इलाकों का फायदा उठाकर बच निकलने में सफल रहे। बायसरन घाटी से जुड़े क्षेत्रों में कई ऐसे ट्रेल्स हैं जहां गाड़ियों का जाना मुश्किल है और मौसम भी हमेशा अनुकूल नहीं रहता।
NIA को इस मामले में सैटेलाइट फोन की मौजूदगी के संकेत मिले हैं, जो इस ओर इशारा करते हैं कि आतंकी पूरी तैयारी के साथ आए थे। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ये आतंकी अभी भी दक्षिण कश्मीर के जंगलों में छिपे हुए हैं और लोकल सपोर्ट से सेना की गतिविधियों पर नज़र रखे हुए हैं।
सुरक्षा बलों का कहना है कि यह एक ‘चूहे-बिल्ली का खेल’ है, लेकिन वे पूरी तरह आश्वस्त हैं कि आतंकी ज्यादा दिनों तक बच नहीं पाएंगे। फिलहाल, सुरक्षा बलों का फोकस सटीक इंटेलिजेंस पर है और आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई की संभावना है।
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