Wednesday , June 11 2025
काशी शराब ठेके और मिनी बार रात में खुले, प्रशासनिक लापरवाही उजागर

काशी की सड़कों पर रात में ‘मिनी बारों’ की चुपचाप रौनक, सिस्टम बेबस?

वाराणसी (ब्यूरो)। काशी शराब ठेके और उनके आसपास रात में चल रहे अवैध मिनी बार इन दिनों शहर की शांति और प्रशासन की कार्यप्रणाली दोनों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। शहर में देर रात तक शराब की बिक्री और खुलेआम बैठाकर पिलाने की गतिविधियाँ चल रही हैं, वो भी बिना किसी लाइसेंस या वैध अनुमति के। आबकारी विभाग की चुप्पी और पुलिस की निष्क्रियता इस पूरी व्यवस्था की मिलीभगत को दर्शा रही है।

आदेशों के अनुसार प्रदेश में शराब की दुकानें रात 10 बजे के बाद बंद होनी चाहिएं, लेकिन काशी में यह नियम सिर्फ़ कागजों तक सीमित है। भोजूबीर, लंका, चांदमारी, कैंट और तेलिया बाग जैसे इलाकों में कई शराब ठेके तय समय के बाद भी खुले रहते हैं। इनमें से अधिकतर दुकानों में ग्राहक खुलेआम शराब खरीदकर बगल की किसी मिनी दुकान या ढाबेनुमा रेस्टोरेंट में बैठकर पीते हैं। इन मिनी बारों में न तो बार लाइसेंस है और न ही किसी भी नियम का पालन हो रहा है।

इन रेस्टोरेंट्स की स्थिति यह है कि ग्राहक को ग्लास, बर्फ, चिकना और सोडा सबकुछ यहीं पर मिल जाता है। खास बात यह है कि यह सब खुलेआम होता है, जैसे प्रशासन की आंखों पर पट्टी बंधी हो। आबकारी विभाग के अधिकारी न तो निरीक्षण करते हैं और न ही कोई ठोस कार्रवाई। स्थानीय लोगों का कहना है कि शराबियों की वजह से रात के समय महिलाओं और परिवारों का निकलना मुश्किल हो गया है।

दुकानों के पीछे बने गुप्त दरवाजों और खिड़कियों से ग्राहक को बोतलें मिलती हैं, और फिर पास की दुकानों में जाकर आराम से बैठकर पीते हैं। यह सिस्टम इतना व्यवस्थित है कि कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि सब अवैध रूप से हो रहा है। यह ‘रात्री बाजार’ काशी की मर्यादा को ठेस पहुंचा रहा है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन ठेके और दुकानों की साठगांठ के चलते कोई कार्रवाई नहीं होती। मोहल्लों में देर रात हंगामा, तेज म्यूजिक और मारपीट की घटनाएं आम हो चुकी हैं। काशी, जो एक पवित्र नगरी मानी जाती है, वहां इस तरह की गतिविधियां बेहद शर्मनाक हैं।

कानून के मुताबिक शराब पिलाने के लिए बार लाइसेंस जरूरी होता है। इसके बिना किसी दुकान या रेस्टोरेंट में शराब परोसना गैरकानूनी है। लेकिन वाराणसी में यह गैरकानूनी व्यवस्था जैसे नियम बन चुकी है। विभाग की चुप्पी साफ संकेत देती है कि इन दुकानों से होने वाली मोटी कमाई के चलते उन्हें संरक्षण प्राप्त है।

प्रश्न यह उठता है कि जब एक पवित्र नगरी में ही शराब का यह व्यापार इतनी निर्भीकता से चल सकता है, तो बाकी जगहों की स्थिति क्या होगी? यह न सिर्फ़ प्रशासन की नाकामी दर्शाता है, बल्कि विभागीय भ्रष्टाचार की पोल भी खोलता है।

अब काशीवासियों की मांग है कि इन अवैध बारों पर तत्काल रोक लगाई जाए। रात 10 बजे के बाद शराब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो और बिना लाइसेंस चल रहे मिनी बारों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही, आबकारी विभाग के लापरवाह और संदिग्ध अधिकारियों की जांच भी कराई जाए।

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