पेगासस केस से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है।
पेगासस केस लंबे समय से देश की सियासत और प्राइवेसी बहस का केंद्र बना हुआ है।
भारत सरकार पर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस की मदद से राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के आरोप लगे हैं।
पेगासस केस में याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से स्वतंत्र जांच की मांग की है।
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बताया जा रहा है कि भारत में लगभग 100 प्रभावशाली लोगों के मोबाइल फोन हैक कर उनकी जासूसी की गई।
यह मामला सामने आने के बाद देशभर में निजता और सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे।
पेगासस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो बिना यूज़र की जानकारी के मोबाइल फोन में इंस्टॉल हो जाता है।
इसके बाद यह फोन की कॉल्स, मैसेज, लोकेशन और कैमरा तक एक्सेस कर सकता है।
हालांकि, भारत सरकार ने जासूसी के आरोपों से इनकार किया है।
सरकार का कहना है कि देश में सभी सर्विलांस कानूनी प्रक्रिया के तहत होते हैं।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत यह तय कर सकती है कि पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए या नहीं।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता डेटा प्राइवेसी से जुड़े कानूनों पर भी कोर्ट से स्पष्ट निर्देशों की मांग कर रहे हैं।
यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस दिशा में आता है, तो यह निजता के अधिकारों के लिए एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है।
पेगासस केस ने डिजिटल सुरक्षा की अहमियत और निगरानी के दायरे पर कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
इस केस से जुड़े सभी पक्षों की दलीलों के बाद आज सुनवाई के दौरान कोर्ट कोई अहम निर्देश जारी कर सकता है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट का रुख इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या होता है।
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