मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजस्व वादों का समयबद्ध निस्तारण और भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राजस्व विभाग की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य की राजस्व व्यवस्था को पारदर्शी, तकनीकी रूप से दक्ष और जनकेंद्रित बनाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व वादों का शीघ्र समाधान न केवल जनविश्वास को मजबूत करता है, बल्कि राज्य में निवेश और समग्र विकास के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने नामांतरण वादों की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑटोमेट करने, चकबंदी विवादों में तकनीकी हस्तक्षेप बढ़ाने और भू-उपयोग परिवर्तन को पारदर्शी बनाने पर बल दिया।
राजस्व वादों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने अविवादित वरासत मामलों का 15 दिनों के भीतर निस्तारण अनिवार्य किया है। साथ ही रियल टाइम खतौनी, आधार सीडिंग, किसान रजिस्ट्री जैसे लंबित मामलों को तय समय सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए।
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बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देशित किया कि शहरी क्षेत्रों के भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण शीघ्र पूर्ण हो और उन्हें पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए। साथ ही राजस्व परिषद पोर्टल को उपयोगकर्ता अनुकूल बनाकर लेखपाल से आयुक्त तक एकीकृत डैशबोर्ड विकसित करने का निर्देश दिया गया।
विभाग ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में 36 लाख से अधिक जाति, निवास और आय प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिनमें से 85% का निस्तारण 7 कार्यदिवस में हुआ। मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए सेवा वितरण को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए।
प्राकृतिक आपदाओं में सहायता के मामले में मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2023-24 में 3.5 लाख प्रभावित परिवारों को DBT के माध्यम से सहायता प्रदान की गई। इसके साथ ही कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के सभी लंबित मामलों को 10 दिन में निपटाने के निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री के इन निर्देशों से यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की राजस्व व्यवस्था में बड़ा प्रशासनिक और तकनीकी परिवर्तन देखने को मिलेगा।