“लखनऊ में संजय निषाद के ‘सत्ताइस के खेवनहार’ पोस्टर ने राजनीतिक हलचल मचाई। विधानसभा उपचुनाव में निषाद पार्टी को सीट न मिलने पर विरोध, पोस्टर से दिखा ताकत का प्रदर्शन।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जहाँ निषाद पार्टी के अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद को लेकर लखनऊ के कई प्रमुख स्थानों पर पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में उन्हें “सत्ताइस के खेवनहार” का संबोधन दिया गया है। यह पोस्टर वार ठीक एक दिन बाद आया है जब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के “सत्ताइस का सत्ताधीश” लिखे पोस्टर लगाए गए थे। लखनऊ में भाजपा कार्यालय, संजय निषाद के आवास, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के आवास और राजभवन के बाहर यह पोस्टर दिख रहे हैं, जो प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा रहे हैं।
निषाद पार्टी की राजनीतिक मांगें और नाराजगी
निषाद पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव में दो सीटों पर टिकट की मांग की थी, लेकिन उन्हें कोई सीट नहीं मिली। इस वजह से संजय निषाद में नाराजगी बताई जा रही है। वे खासकर मिर्जापुर के मझवां सीट को पाना चाहते थे, पर बीजेपी ने वहां से अपने उम्मीदवार को टिकट दिया है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह पोस्टर वार और “सत्ताइस के खेवनहार” का संदेश देकर निषाद पार्टी अपनी अहमियत और मजबूती दिखाने की कोशिश कर रही है।
“सत्ताइस के खेवनहार” पोस्टर का महत्व
इन पोस्टरों पर “सत्ताइस के खेवनहार” लिखा होने का अर्थ है कि निषाद पार्टी प्रदेश की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दर्शाना चाहती है। माना जा रहा है कि यह निषाद पार्टी का एक संकेत है कि आगामी चुनावों में उनकी पार्टी का योगदान भाजपा के लिए अहम हो सकता है। निषाद पार्टी द्वारा यह पोस्टर जारी कर अपनी राजनीतिक शक्ति और राज्य में उनके वर्चस्व को दिखाने की कोशिश की जा रही है।
आगामी रणनीति और कोर कमेटी की बैठक
संजय निषाद ने इस सियासी हलचल के बीच अपनी पार्टी की कोर कमेटी की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। उपचुनाव के पहले यह पोस्टर वार और बैठक एक राजनीतिक दबाव की रणनीति मानी जा रही है। निषाद पार्टी अब अपने भविष्य की योजनाओं और अपनी ताकत का प्रदर्शन कर भाजपा को संकेत देना चाहती है कि वे आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
अखिलेश यादव का पोस्टर और भाजपा की प्रतिक्रिया
इससे पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के “सत्ताइस का सत्ताधीश” वाले पोस्टर लखनऊ में लगाए गए थे। इन पोस्टरों पर संस्कृत में श्लोक लिखा था, जिसमें अखिलेश को सौ वर्षों की दीर्घायु और सफल जीवन की शुभकामनाएं दी गईं। इस पर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने टिप्पणी करते हुए इसे सपा के “शेख चिल्ली” जैसे सपनों की तरह बताया। यह राजनीतिक बयानबाजी दिखाता है कि सत्ताईस वर्ष के महत्व को लेकर सपा और निषाद पार्टी दोनों ही अपने-अपने तरीके से राजनीति में मजबूती दिखाने की कोशिश कर रही हैं।